अकोला. जिले भर में अत्यधिक बारिश होने के कारण खरीफ फसलों का काफी नुकसान हुआ था. जिसमें सोयाबीन और कपास की फसल की काफी हानि हुई थी. अभी भी जिन क्षेत्रों में कपास की फसल बाकी है, कपास की फसल पर भी लाल्या रोग का संक्रमण देखा जा रहा है. किसान इस समय खेतों से कपास निकाल रहे हैं.
इस समय जिले के अनेक क्षेत्रों में तुअर की फसल पर भी कीटकों का संक्रमण देखा जा रहा है. पिछले काफी दिनों से लगातार चल रहे बदरीले मौसम के कारण तुअर की फसल पर कीटकों का प्रभाव बढ़ा है. क्योंकि यह मौसम कीटकों के लिए काफी पोषक माना जा रहा है. कुछ क्षेत्रों में तुअर के फूल झड़ रहे हैं. अनेक क्षेत्रों में तुअर की फसल पर इल्लियों का संक्रमण है. इस समय जिन क्षेत्रों में तुअर की फसल काफी अच्छी स्थिति है.
उन क्षेत्रों में भी अब धीरे धीरे संक्रमण बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है. सभी जगह किसान तुअर की फसल को कीटकों से बचाने के लिए लगातार प्रयत्नशील हैं. अनेक क्षेत्रों में जहां तुअर की फल्लियों में दाने भर रहे हैं वहां भी संक्रमण को देखते हुए किसानों में काफी चिंता व्याप्त है. इसके पूर्व खरीफ फसलों में सोयाबीन तथा कपास की फसल काफी प्रमाण में बर्बाद हो चुकी है. अब तुअर की फसल की खराब स्थिति देख कर किसान चिंतित हैं.
उत्पादन में हो सकती है कमी
जिले के अनेक किसानों का कहना है कि उनकी ओर से तुअर की फसल पर कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है. फिर भी मौसम के बदलाव के कारण, और इल्लियों के संक्रमण के कारण उत्पादन में कमी आ सकती है. किसान अपने स्तर पर तुअर की फसल पर छिड़काव कर रहे हैं. कुछ किसानों ने बातचीत के दौरान बताया कि इस समय कीटनाशकों की कीमतें भी काफी बढ़ी हैं. फिर भी किसान कीटकनाशक खरीद रहे हैं और छिड़काव कर रहे हैं.
कीटकों पर नियंत्रण जरूरी
विशेषज्ञों का कहना है कि तुअर की फसल पर कीटकों पर नियंत्रण करने के लिए सबसे पहले प्रोफेनोफॉस या विचनॉलाफॉस का छिड़काव किया जाना चाहिए. 20 मिली प्रति लीटर 10 लीटर पानी इस अनुपात में छिड़काव होना चाहिए. इसी तरह दूसरा छिड़काव यह इमामेकटीन बेंजोएट 4 ग्राम 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
कोहरे का असर टालने के लिए इन दोनों कीटकनाशकों के साथ कार्बडाजिम 25 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी के प्रमाण में छिड़काव करना चाहिए. इसी तरह कीटकों पर नियंत्रण करने के लिए खेतों में पक्षियों के बैठने की व्यवस्था भी उपयोगी साबित होगी. जिस तरह किसानों द्वारा जमीन की मशक्कत की जाती है उसी तरह पक्षियों के खेत में बैठने से उनके द्वारा कीटकों का नाश होता है, ऐसा भी विशेषज्ञों का कहना है.