
- इलाज करवाने के लिए हो रहे मजबूर
अकोला. सर्व सामान्य लोगों के लिए सर्वोपचार अस्पताल है लेकिन इन दिनों सर्वोपचार अस्पताल में अनेक स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव देखा जा रहा है. यदि यहां बहुत ध्यान से देखा जाए तो कई विभागों में रोगियों को जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वह नहीं मिल रही हैं. कुल मिलाकर स्थिति बहुत खराब देखी जा रही है. यहां पर जिन रोगियों को डाक्टरों द्वारा सोनोग्राफी के लिए रेफर किया जाता है उन रोगियों को बहुत तकलीफ का सामना करना पड़ता है.
सोनोग्राफी करवाने के लिए उन्हें 15 दिनों से लेकर दो माह तक चक्कर मारने पड़ते हैं. इतनी बेकार स्थिति है. कुछ रोगियों की स्थिति गंभीर रहती है, यदि तुरंत सोनोग्राफी हो जाए तो पता चल जाता है कि बीमारी क्या है. इसके बाद उस पर उपचार किया जा सकता है लेकिन यदि सोनोग्राफी ही समय पर न हो तो रोगी की स्थिति और बिगड़ सकती है. यदि सिर्फ सोनोग्राफी के अभाव में किसी रोगी की स्थिति बिगड़ जाए तो इसके लिए कौन जिम्मेदार रहेगा. इस विषय पर गंभीरता से सोचना बहुत जरूरी है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में रोगी यहां उपचार के लिए आते हैं. कुछ रोगी आर्थिक रूप से बहुत कमजोर रहते हैं. सर्वाधिक खर्च सिटी स्कैन और सोनोग्राफी में आता है. यदि यह सुविधाएं सर्वोपचार अस्पताल में शीघ्र उपलब्ध नहीं होती हैं तो इन रोगियों की हालत बहुत खराब हो जाती है. क्यों कि वे सोनोग्राफी और सिटी स्कैन के लिए खुद खर्च नहीं कर सकते हैं और निजी अस्पतालों में सिटी स्कैन और सोनोग्राफी के लिए भारी खर्च आता है. इस कारण से कई रोगी निराश हो जाते हैं. इस तरह की स्थिति सर्वोपचार में पिछले करीब तीन माह से अधिक समय से चल रही है.
अन्य कई सुविधाओं का अभाव
प्राप्त जानकारी के अनुसार सिटी स्कैन, सोनोग्राफी की सुविधाएं तुरंत उपलब्ध नहीं होती हैं. इसी तरह कुछ कुछ दवाओं का भी यहां अभाव रहता है. यदि सोनोग्राफी की मशीन खराब है तो सर्वोपचार में रोगियों की दिन प्रतिदिन बढ़ती हुई भीड़ को देखते हुए यहां पर एक दो और सोनोग्राफी की मशीनें उपलब्ध करवाई जानी चाहिए. अस्पताल में साफ सफाई की व्यवस्था है लेकिन वह व्यवस्था भी बहुत तारीफ के लायक नहीं है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ रोगियों को ओपीडी से सुपर स्पेशलिटी में भेजा जाता है लेकिन सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में स्टाफ की भारी कमी है. सुपर स्पेशलिटी में विशेषज्ञ डाक्टर सुबह 11 से 1 बजे तक ही मिल पाते हैं. करोड़ों रूपयों की लागत से सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का निर्माण किया गया है, तमाम अत्याधुनिक उपकरण यहां लगाए गए हैं लेकिन स्टाफ की, तकनीकी विशेषज्ञों की और विशेषज्ञ डाक्टरों की यहां कमी है.
शायद इसी लिए रोगियों को असुविधा और तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है. जनप्रतिनिधियों का काम है कि, सरकार पर दबाव बनाकर सर्वोपचार और सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में स्टाफ की जो कमी है उसे पूरा करवाएं इसी तरह सिटी स्कैन और सोनोग्राफी की एक मशीन की और मंजूरी करवाएं जिससे रोगियों को बिना सोनोग्राफी के वापस लौटना न पड़े.