महाबीज बीज उत्पादन प्रक्रिया ठप – उपलब्ध नहीं हो पाएगी ग्रीष्मकालीन मूंगफली

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  • खरीफ का मौसम होगा प्रभावित

अकोला. बीज उत्पादन पर महाबीज श्रमिकों के आंदोलन का बड़ा प्रभाव पड़ा है. पिछले एक पखवाड़े से कच्चा बीज आयात बंद होने से बीज उत्पादन की प्रक्रिया भी ठप हो गई है. जिसके कारण किसानों को इस वर्ष ग्रीष्मकालीन मूंगफली के बीज नहीं मिल पाएंगे इसी तरह 2021 के खरीफ सीजन के भी प्रभावित होने की संभावना है. अकोला में महाबीज का मुख्य कार्यालय है. इसके अलावा राज्य में 6 स्थानों पर विभागीय कार्यालय, 30 स्थानों पर जिला कार्यालय तथा 24 बीज प्रक्रिया केंद्र हैं.

महाबीज के राज्य के 400 कर्मचारियों ने 7 वें वेतन आयोग, पांच दिवसीय सप्ताह जैसी विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल की है. 10 दिन की समयावधि बीतने के बावजूद, सरकार कर्मचारियों को समझाने में विफल रही है. इस बीच पशु संवर्धन मंत्री सुनील केदार से कर्मचारी संगठन ने भेंट की है. उन्होंने कर्मचारियों से कहा कि उनके पास यह विभाग नहीं है. कुल मिलाकर, आंदोलन ने गेहूं के बीज की बिक्री को प्रभावित किया. प्रतिवर्ष साड़ेतीन लाख बीजों की निर्मिति की जाती है.

इस वर्ष के आंदोलन ने बीज उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. प्रति वर्ष 20,000 क्विंटल ग्रीष्मकालीन मूंगफली के बीज उपलब्ध होते हैं. वह भी इस साल नहीं हो सका है. परिणामस्वरूप, किसानों को अतिरिक्त दरों पर निजी कंपनियों से बीज खरीदना पड़ा है. अकोला के जिलाधिकारी जीतेंद्र पापलकर की ओर महाबीज के प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त प्रभार है. वह दो बार कर्मचारी के साथ बातचीत कर चुके हैं लेकिन इस मुद्दे को हल नहीं किया जा सका है.

शुक्रवार को दोपहर 4 बजे जिलाधिकारी पापलकर ने कर्मचारियों के साथ एक बार फिर बातचीत की है. लेकिन जब तक सरकार से लिखित आश्वासन नहीं मिलता तब तक आंदोलन वापिस नहीं लिया जाएगा, यह भूमिका कर्मचारियों द्वारा ली गयी है. पिछले 44 वर्षों से महाबीज किसानों को सेवाएं उपलब्ध करवा रहा है.

किसानों को समय पर बीज उपलब्ध करवाने के लिए कर्मचारी रात, दिन प्रयास करते रहते हैं. लेकिन केवल सरकार की उदासिनता के कारण कर्मचारियों पर आंदोलन की नौबत आयी है. श्रमिकों के आंदोलन के संबंध में कृषि सचिव एकनाथ डावले की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश करते हुए, उन्होंने इस मुद्दे पर बोलने से परहेज किया.

किसानों के संदर्भ में संवेदनशील आईएएस अधिकारी एकनाथ डवले की ओर महासंघ का पदसिद्ध अध्यक्ष तथा कृषि सचिव का पदभार है. उन्हें भी लगता है कि उन्होंने आंदोलन की ओर ध्यान नहीं दिया है. कृषि सचिव ने भूमिका निभाई है कि उनके हाथ में कुछ भी नहीं है और उन्होंने उप मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री अजीत पवार की ओर फाइल भेजी है. 

आंदोलन के कारण इस वर्ष बीज वितरण प्रणाली पर परिणाम होने की आशंक प्रकट की जा रही है. इसका लाभ निजी बीज कंपनियों को होकर बीज कंपनियां बीजों के भाव बढ़ाने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है. क्योंकि महाबीज के बीज विश्वसनीय बीज होते हैं, इसलिए किसान इसकी ओर बढ़ते हैं. प्रचुर मात्रा में बीज भी महाबीज प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं. इस वर्ष, स्थिति बदतर हो जाएगी और किसानों को नुकसान होगा.