दशहरे पर होती है यहां रावण की पूजा, ग्राम सांगोला की अनूठी परंपरा

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    अकोला. हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान श्रीराम ने दशहरे के दिन लंकापति रावण का वध किया था, जो भगवान भोलेनाथ का बड़ा भक्त था. ज्यादातर लोगों के लिए दशहरा रावण पर भगवान श्रीराम की जीत का उल्लास मनाने का पर्व है. लेकिन जिले की पातुर तहसील में स्थित एक छोटा सा गांव सांगोला इसका अपवाद है. क्योंकि कहा जाता है कि इस गांव में रावण की पूजा की जाती है. रावण को महान विद्वान के रूप में भी जाना जाता है. साथ ही यहां का मंदिर इस गांव की विशेषता होने के साथ-साथ पूजा स्थल भी है. रावण के दोषों को छोड़कर उनके गुणों की यहां पूजा की जाती है. यह परंपरा लगभग दो सौ वर्षों से चली आ रही है.

    राज्य में रावण का एकमात्र मंदिर

    दशहरे के दिन पूरे भारत में रावण के पुतले जलाए जाते हैं. रावण को आम तौर पर हम खलनायक, दुष्ट, दानव के रूप में जानते हैं. लेकिन ग्राम सांगोला में रावण की पूजा की जाती है. तपस्वी, बुद्धिमान, पराक्रमी, वेदों में विद्वान, विलक्षण गुणों के कारण संगोला में रावण की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि यहां का रावण का मंदिर जिले ही नहीं पूरे राज्य में इकलौता है. संगोला गांव के अलावा विदर्भ की आदिवासी जनजातियां भी रावण की पूजा करती हैं. 

    किवदंती प्रसिद्ध

    वैसे देखें तो रावण की नगरी लंका अकोला से हजारों कि.मी. दूर है लेकिन फिर भी जिले के सांगोला गांव में रावण की पूजा की जाती है. इसके पीछे किवदंती है कि दो सौ साल पहले, इस क्षेत्र में रहने वाले एक ऋषि ने गांव के पश्चिम में जंगल में तपस्या की थी. उनकी प्रेरणा से गांव में कई धार्मिक गतिविधियां आयोजित की जाती थीं. ऋषि ने अपनी मूर्ति बनाने के लिए एक मूर्तिकार को नियुक्त किया, लेकिन रावण की मूर्ति उनके द्वारा बनाई गई थी. उसने दस मुख वाली, बीस शीशे की आखों वाली, बीस भुजाओं वाली सभी शस्त्रों वाली एक विशाल मूर्ति बनाई. यह रावण की अष्टमुखी, बीस भुजाओं वाली एक काले पत्थर की मूर्ति है. रावण की यह साढ़े चार फीट लंबी काली पत्थर की मूर्ति किसी को भी हैरान कर देती है. 

    दशहरे पर रावण की विशेष पूजा

    विजयदशमी का अर्थ है असत्य पर सत्य की जीत, दशहरे के दिन रावण के प्रति क्रोध, घृणा व्यक्त करते हुए हर जगह रावण का पुतला जलाया जाता है. लेकिन सांगोला गांव एक अपवाद है. दशहरे की शाम को यहां के ग्रामीणों द्वारा विशेष रूप से रावण की पूजा की जाती है. दशहरे के पर्व पर रावण की मूर्ति पर माला और फूल चढ़ाए जाते हैं. मूर्ति के सामने दीपक जलाकर रावण का पूजन किया जाता हैं. उल्लेखनीय है कि इस गांव में रावण के मंदिर के अलावा हनुमान जी का मंदिर भी है.