Amol Mitkari

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अकोला. मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का निलंबन हाल ही में राज्य सरकार ने रद्द कर दिया था. कैट ने बार-बार राज्य सरकार से उनके निलंबन पर रिपोर्ट मांगी थी. ऐसा नहीं करने पर कैट ने एकतरफा तौर पर उनका निलंबन रद्द करने का आदेश दिया. इस वजह से राज्य सरकार ने कैट को रिपोर्ट क्यों नहीं दी?

इस तरह का सवाल उठाकर परमबीर सिंह का निलंबन रद्द करने का आदेश अवैध और आरोपी को संरक्षण देने वाला है. वे सत्ताधारियों के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे थे, यह आरोप राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक अमोल मिटकरी ने किया है. वे गुरुवार को यहां सरकारी विश्राम गृह में आयोजित पत्र परिषद में बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ राज्य के अलग-अलग थानों में कम से कम 8 से 10 मामले दर्ज हैं, जिनमें जबरन वसूली, कानून के दुरुपयोग और तबादलों में वसूली के गंभीर आरोप हैं. प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के सामने रखे गए जिलेटिन के मामले के पीछे परमबीर सिंह मुख्य मास्टरमाइंड था और उसे तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख द्वारा निचले पद पर स्थानांतरित कर दिया गया था.

साथ ही मामले की जांच कर रही एनआईए द्वारा दायर चार्जशीट में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि मामले में परमबीर सिंह की बड़ी भूमिका थी. उनके खिलाफ कोई कार्रवाई किए बिना उन्हें सुरक्षा क्यों दी जा रही है? क्योंकि उन्होंने बीजेपी के इशारे पर काम किया.

यह सब महाविकास अघाड़ी सरकार को गिराने की चाल थी. उनके द्वारा लगाए गए 100 करोड़ के आरोप साबित नहीं हो सके. उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनके पास कोई सबूत नहीं है. लेकिन अनिल देशमुख और उनके परिवार को 14 महीने तक इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. हमने बार-बार आरोप लगाया है कि परमबीर सिंह के पीछे कोई राजनीतिक ताकत है. उन्होंने कहा कि अब यह सामने आ गया है. इस अवसर पर राकां के कृष्णा अंधारे, मनोज गायकवाड़, अजय मते, नितिन देशमुख, लोखंडे आदि उपस्थित थे.