पारस के विस्तारित सेट को बनाने का काम ठंडे बस्ते में! परियोजना प्रभावित लोगों को अतिरिक्त मुआवजा दें

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    • पूर्व विधायक लक्ष्मणराव तायड़े का मुख्यमंत्री को निवेदन

    अकोला. पारस स्थित औष्णिक बिजली केंद्र में विस्तारित सेट का निर्माण कार्य अधर में है. परियोजना प्रभावित लोगों के मुआवजे में वृद्धि करें, यह मांग पारस परियोजना प्रभावित और विस्तारित सेट कृति समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक लक्ष्मणराव तायड़े ने मुख्यमंत्री को भेजे निवेदन में की है. 

    पारस में औष्णिक बिजली केंद्र द्वारा विस्तारित सेट के निर्माण के लिए स्थानीय किसानों की उपजाऊ भूमि कई साल पहले अधिग्रहित की गई थी. लेकिन कई वर्षों से उन कृषि भूमि पर परियोजना स्थापित नहीं की गई है. अब एक नई परियोजना को मंजूरी दी गई है. इसलिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत परियोजना प्रभावित लोगों को नया मुआवजा दिया जाए, यह मांग पूर्व विधायक लक्ष्मणराव तायड़े ने की है.

    पारस में औष्णिक बिजली केंद्र के विस्तारित सेट के लिए भूमि अधिग्रहण 2007 में शुरू हुआ है. सन 2011 में इस विस्तारित सेट के लिए 110.92 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करने और परियोजना प्रभावित लाभार्थियों को 17 करोड़ 14 लाख रुपये का भुगतान करने का अंतिम निर्णय पारित किया गया था. लेकिन सभी जमीनों के अधिग्रहण के बावजूद, विभिन्न कारणों से निर्माण कार्य अधर में लटका रहा है. इससे प्रस्तावित सेट को भी बड़ा झटका लगा.

    सरकार के बदले हुए मानदंडों के कारण 250 मेगावाट की परियोजना को रद्द कर दिया गया था. केंद्र सरकार के मार्गदर्शन में, सुपर क्रिटिकल तकनीक का उपयोग करके 660 मेगावाट के एक सेट के निर्माण के लिए परीक्षण किए गए हैं. इस परियोजना को शुरू करने के लिए भूमि, पानी, कोयला, बिजली उत्पादन लागत, नया सेट फिट होगा या नहीं, साथ ही भविष्य में बिजली की मांग और आपूर्ति का तुलनात्मक अध्ययन भी किया गया था.

    लेकिन जमीन और पानी की उपलब्धता के बावजूद जांच गुमराह करने वाली निकली है यह आरोप पूर्व विधायक लक्ष्मणराव तायड़े ने किया है. यदि 2017 में अधिग्रहित भूमि पर एक नई स्वीकृत सौर ऊर्जा परियोजना का निर्माण किया जा रहा है, तो परियोजना प्रभावित भूमि धारकों को संशोधित भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार बढ़ा हुआ मुआवजा दिया जाना चाहिए, ऐसी मांग परियोजना प्रभावित एवं विस्तारित सेट एक्शन कमेटी द्वारा की गई है. उन्होंने निवेदन में चेतावनी भी दी है कि अगर मांगें मानी नही गईं तो सभी परियोजना प्रभावित लोगों के साथ तीव्र आंदोलन किया जाएगा.

    परियोजना प्रभावित निराशा के गर्त में

    अधिग्रहित भूमि के उपयोग के उद्देश्य से पारस में 2017 में 25 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना को मंजूरी दी गई थी. इस स्वीकृत सौर ऊर्जा परियोजना पर पिछले 5 वर्षों से कोई काम नहीं हुआ है. इसके लिए दो बार टेंडर प्रक्रिया कराई गई, लेकिन उसे सही रिस्पांस नहीं मिला है. इसलिए सौर ऊर्जा परियोजना अभी भी ठप पड़ी है. अधिग्रहित भूमि 11 वर्षों से अनुपयोगी पड़ी है. करीब 15 साल पहले औष्णिक बिजली केंद्र के नाम पर जमीन का अधिग्रहण किया गया था. किसानों ने गांव में रोजगार पैदा करने और गांव के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए अपनी उपजाऊ जमीन सरकार को सौंप दी. लेकिन कोई हलचल नहीं होने से परियोजना पीड़ित मायूसी की स्थिति में हैं.