पदग्रहणः अमरावती विवि के नए विसी डा. दिलीप मालखेड़े का मत

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    • पारंपारिक पाठ्यक्रमों में थोड़ा बदलाव आवश्यक 

    अमरावती. संत गाडगेबाबा अमरावती विश्वविद्यालय के नये उपकुलपति का गुरुवार को पदभार संभालने के बाद डा. दिलीप मालखेड़े ने कहा कि स्टूडेंट, विकास व रिसर्च पर फोकस करेंगे. नैशनल एज्यूकेशन पालिसी में यह दायित्व दिया है. वंचित, दुर्बल घटकों तक उच्च शिक्षा पहुंचाना हमारा परम कर्तव्य होंगा. रोजगार अथवा नौकरी दिलाने में महत्वपूर्ण 5-10 विषय एसे होने चाहिए. जो बीए, बीकाम, बीएससी, पोस्ट ग्रेज्युएट सहजता से ले पाए. पारंपारिक पाठ्यक्रमों में थोड़ा परिवर्तन भी आवश्यक हो गया है. स्टूडेंट को योग्य मार्गदर्शन की जरूरत है.  

    निरंतर हो मूल्यमापन 

    कोविड के संकट काल में महाविद्यालय द्वारा दिए जा रहे अंकों के आधार पर स्टूडेंट की मार्कशिट तैयार हो रही है. विवि की ओर से आनलाइन परीक्षा की व्यवस्था नहीं है. इस प्रश्न पर आठवें उपकुलपति ने स्पष्ट किया कि निश्चित ही विवि प्रशासन इस बात की गंभीरता से दखल लेकर उपाय की दिशा में पहल करेंगा. इस पर अभ्यास करेंगे. मूल्यमापन निरंतर होना चाहिए.

    स्टूडेंट को प्रत्येक विषय में क्रिएटिव वर्क करने के लिए प्रोत्साहित करना अत्यंत जरूरी है. 1992 से पद भर्ती नहीं होने के कारण अमरावती विवि में प्रोफेसर समेत अन्य पद रिक्त होने से संख्याबल भी एक बड़ा प्रश्न है. फिर भी उपलब्ध मैन पावर के माध्यम से अच्छा से अच्छा कार्य करवाने पर ध्यान दिया जाएंगा. विवि में क्या-क्या समस्याएं हैं, इसका पहले संज्ञान लूंगा. मुझे इस बाती की बड़ी खुशी है कि जिस विश्वविद्यालय से मैं पढ़ा, आज उसी विवि का विसी बना हूं. 

    स्टूडेंट के विकास व रिसर्च पर फोकस 

    जाब टू जाबलेस अत्यंत जरूरी है. इसके लिए प्लेसमेंट पर विवि प्रशासन अधिकाधिक ध्यान देंगा. संत गाडगेबाबा के दश सूत्रीय का पालन होना चाहिए. खासकर तीन सूत्र-गरीब को शिक्षा दो, बेरोजगार को रोजगार दो और न्याय करो. कम से कम नौकरी नहीं दे पाए तो संबंधित स्टूडेंट स्वयंरोजगार कर सके. इस तरह के एज्यूकेशन पर फोकस किया जाएंगा.

    शार्ट कोर्सेस के साथ ही बीए, एमए, एमएसी, अंडर ग्रेज्युट, पोस्ट ग्रेज्युट के पाठ्यक्रम (करिकूलम) में समय सूचकता के अनुसार थोड़ा परिवर्तन करना जरूरी हो गया है. संपूर्ण बदलाव नहीं कम से कम एक या दो विषय इलेक्ट्रो शामिल किया जाना चाहिए. साथ ही 5-10 विषय एसे होने चाहिए, जो प्रत्येक संकाय के विद्यार्थी को लेने में सहजता हो पाए. पीएचडी में विषय चुनते समय समाज को अपनी रिसर्च का क्या लाभ होगा, यह बात हमेशा ध्यान रखी जानी चाहिए.

    गुरुवार को सुबह 10.30 बजे विवि के केएस देशमुख सभागार में उन्होंने विसी के सूत्र संभाले. इस समय प्रभाली डा. विलास भाले, प्र-उपकुलपति प्रा. राजेश जयपुरकर, कुलसचिव डा. तुषार देशमुख मंचासीन थे. संतालन डा. दादाराव चव्हाण ने किया. मूलतः अमरावती जिले के करजगांव बहिरम निवासी डा. दिलीप मालखेड़े पुणे के सरकारी इंजीनियरिंग कालेज में उपप्राचार्य रह चुके है. नई दिल्ली स्थित एआईसीटी में सलाहकार पद पर 6 वर्षों से कार्यरत थे.