Operation
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अमरावती. हृदय रोगों के इलाज के लिए प्रसिद्ध जेनिथ अस्पताल में एक ऐसी प्रक्रिया की गई, जिसका उल्लेख अभी तक लिट्रेचर में नहीं है. एक 56 साल की महिला जिनकी हार्ट की एक वाल्व खराब थी और दो बार नागपुर शहर में वाल्व बदली व ओपन हार्ट ऑपरेशन कर वाल्व चेंज किया गया था, पर कुछ कारणों की वजह से दोनों बार वह ऑपरेशन पूरी तरह से असफल रहा और उस मरीज की तकलीफ कम नहीं हुई थी. फिर से जाँच करने पर पता चला कि वाल्व के पास का हिस्सा जिसे हम ऑर्थिक साइनस कहते हैं, वह काफी बड़ा होकर हृदय के अंदर के चैम्बर में फट गया था, जिसकी वजह से वहां से लीकेज हो रहा था.

इसे रप्चर ऑफ साइनस वालसाल्वा (आरएसओवी) कहा जाता है. ज्यादातर ये एक जन्मजात बीमारी होती है और हृदय के राइट साइड में लीक होती है और इसे डिवाइस डाल के बंद कर सकते हैं, पर इस मरीज में ये लीकेज लेफ्ट साइड में था और आर्टिफिशियल वाल्व के पास था इसलिए इसे ठीक करना काफी मुश्किल था. 

कार्डियोलॉजी जर्नल में करेंगे पब्लिश 

तीसरी बार ओपन हार्ट सर्जरी करने से डॉक्टर्स ने मना कर दिया था और पेशेंट भी इसके लिये रेडी नहीं थे. बिना ऑपरेशन के कैथ लैब मशीन और 4 डी इको मशीन की मदद से ये ऑपरेशन किया गया. जेनिथ हॉस्पिटल के डॉ. नीरज राघानी (इंटरवेन्शनल कार्डियोलॉजिस्ट) ने बताया कि उनके पास उपलब्ध हाई एंड मशीनों की मदद से ये ऑपरेशन सफल हुआ. 4डी इको मशीन जो कि पूरे विदर्भ में केवल जेनिथ अस्पताल में ही उपलब्ध है. इस मशीन की मदद से हृदय के अंदर काफी क्लियर तरीके से झांका जा सकता है और प्रॉब्लम का पता और ऑपरेशन की स्टेप्स काफी सटीक तरीके से किया जा सकता है.

बगैर किसी चीरफाड़ के 4 डी इको की मदद से ये ऑपरेशन सटीक तरीके से किया गया. इस प्रक्रिया में कोनार नामक डिवाइस एक कैथेटर की मदद से उस लीकेज में फिट कर के लीक को बंद किया गया आम तौर पर ऐसे ऑपरेशंस बड़े इंस्टीट्यूट्स में किए जाते हैं, पर अत्याधुनिक तकनीकों के रहते हुए डॉ. राघानी ने ये ऑपरेशंस सक्सेसफुली पूरा किया. इस प्रकार का ऑपरेशन शायद दुनिया में पहली बार हुआ है और डॉ. राघानी इसे कार्डियोलॉजी जर्नल में पब्लिश करने वाले हैं.