death
(प्रतीकात्मक तस्वीर)

    Loading

    वरुड़. वर्धा नदी में लगातार तीसरे दिन खोज मुहिम को सफलता मिली. गुरुवार को एक के बाद एक सभी 8 लोगों के शव खोज लिए गए. इसके पहले मंगलवार को हादसे के दिन 3 लोगों के शव मिल गए थे. जिससे श्री क्षेत्र झूंज स्थित वर्धा नदी में नाव पलटने से डूबे सभी 11 लोगों की लाशें बरामद हो चुकी है. इस खोज अभियान के लिए प्रशासन का राहत व बचाव दल बारिश में भी युद्धस्तर पर जुटा रहा. 

    जगह पर ही किया पीएम 

    गुरुवार को लगातार तीसरे दिन प्रातः 5.30 बजे जिला व्यवस्थापन के बचाव टीम व राज्य प्रतिसाद दल ने झूंज में संयुक्त खोज अभियान शुरू किया. सबसे पहले सुबह 6.30 बजे पीयूष मटरे (10) का शव मिला. जिसके बाद कुछ ही अंतर पर निशा मटरे (22), वृषाली वाघमारे (19), अतुल वाघमारे (25), अश्विनी खंडारे (21), पूनम शिवणकर (31), आदिती सुखदेवराव खंडाले (13), मोहिनी सुखदेवराव खंडाले (11) के शव खोज निकाले.

    इस दौरान बचाव दल को दोपहर 2 बजे तक 7 लोगों के शव मिल पाए थे. 1 आखरी शव दोपहर 4 बजे खोज लिया गया. 7 शवों का जगह पर ही पोस्टमार्टम किया गया. जबकि आठवें शव का ग्रामीण अस्पताल में पीएम कराया गया. जिसके बाद लाशें उनके गांव पहुंचकर परिजनों को सौंप दी गई. इस समय घटना स्थल पर रिश्तेदारों व ग्रामवासियों की भीड़ उमड़ पड़ी थी.

    मंगलवार को सुबह 10.30 बजे यह भयावह हादसा हुआ था. जिसके तुरंत बाद 3 शव खोज लिए गए थे. जिनमें नारायण मटरे (45, गाडेगांव), किरण विजय खंडाले (28, लोणी, वरुड़) व वंशिका प्रदीप शिवणकर (2, तिवसाघाट) का समावेश था. इस हादसे में 2 लोग जैसे-तैसे तैरकर किनारे पहुंचकर बाल-बाल बचे.     

    7 बोट से चलाया अभियान 

    जिला आपत्ति व्यवस्थापन के खोजी दस्ते की दो टुकड़ियां, नागपुर से राज्य आपत्ति व्यवस्थापन और राष्ट्रीय आपत्ति व्यवस्थापन खोज व बचाव पथक ने तीन दिनों से यह खोज अभियान शुरू रखा था. लगातार बारिश के कारण खोज मुहिम में दिक्कतें आने के बाद भी इसे जारी रखा था.

    निरंतर तीन दिनों से विधायक देवेंद्र भुयार, जिप सदस्य राजेंद्र बहुरूपी, पंचायत समिति सभापति विक्रम ठाकरे, उपविभागीय अधिकारी नितिन हिंगोले , एसडीपीओ कविता फडतरे, नायब तहसीलदार देवानंद धबाले, बेनोडा थानेदार मिलिंद सरकटे, उपनिरीक्षक दिलीप श्रीराव समेत बेनोडा, वरुड़ व शेंदुर्जनाघाट पुलिस का दल एवं एसआरपीएफ का दल मौके पर डेरा डाले था.

    नागरिकों की भीड़ रोकने रास्ते बंद किए गए थे. कुल 7 बोट से यह खोज मुहिम चलाई गई.  एनडीआरएफ 4, एसडीआरएफ 2 और जिला आपत्ति व्यवस्थापन दल की 1 बोट तैनात थी. जबकि कुल 74 कर्मचारी इस खोज मुहिम सहभागी हुए. जिनमें प्रमुखता से 

    टीम लीडर दीपक डोरस, दीपक पाल, गजानन वाडेकर, उदय मोरे, गौरव जगताप, हीरा पवार,पंकज येवले, देवानंद भुजाडे,कौस्तुभ वैद्य, भूषण वैद्य,आकाश निमकर, गणेश जाधव, राजेंद्र शांहाकार,अजय असोले,महेश मांदाले, दीपक चीलोरकर, प्रफुल भुसारी, चालक संदीप बरगटे, चालक गजानन मुंडे का समावेश है.