60 देशों में पहुंची बांबू राखी, एक लाख से अधिक बिक्री

    Loading

    चुरणी. भाई-बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार कुछ ही दिनों पर है. राखी की खरीद-बिक्री शुरू हो गई है. हर बहन अपने भाई की कलाई पर एक अलग राखी बांधना चाहती है. इसी तरह कुछ प्राकृतिक सामग्रियों से बनी बांस की राखी की मांग न केवल मेलघाट में बल्कि देश के बाहर भी बढ़ गई है. वर्ष 2018 में मेलघाट से बांस से बनी राखी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बांधी गई थी. उसके बाद आईसीआर की मदद से विदेश में राखी भेजने का कार्यक्रम शुरू किया गया. अब तक जापान और अमेरिका समेत 60 देशों में 60 हजार राखियां पहुंचाई जा चुकी हैं.

    राखियों की ऑनलाइन मांग अधिक

    संपूर्ण ​​बांबू केंद्र की संचालक देशपांडे ने कहा कि ऑनलाइन राखी की भारी मांग है. नागपुर में भी लोग ज्यादा से ज्यादा ऑनलाइन राखियां मांग रहे हैं. एक राखी की कीमत 35 से 50 रुपये के बीच होती है. भाई की फोटो वाली राखी का प्रचलन पिछले दो वर्षों से बढ़ना शुरू हो गया है. गुजरात और मुंबई से इस प्रकार की राखियां निर्यात किया जा रहा है. फोटो वाली राखी से न सिर्फ बच्चे बल्कि बड़े भी प्रभावित हुए हैं. ये राखियां शहर के लगभग सभी फोटो स्टूडियो में उपलब्ध हैं. एक सीजन में एक स्टूडियो में 400 से ज्यादा राखियां बनाई जाती हैं और एक राखी 70 से 100 रुपये ऑफलाइन मिलती है. वहीं 150 से 250 रुपये में ऑनलाइन उपलब्ध है.

    मेलघाट की महिलाओं को मिला रोजगार

    मेलघाट के दूर-दराज के आदिवासी गांवों की महिलाएं राखियां बनाने के काम में शामिल हुई हैं. अब उन्हें 12 महीने तक राखियां बनाने का काम दिया जा रहा है. इसमें उन्हें भरपूर रोजगार मिल रहा है. अब तक एक लाख से अधिक राखियां बनाकर बाजार में बिक्री के लिए भेजी जा चुकी हैं. जनता की प्रतिक्रिया को देखते हुए स्कूली बच्चों के लिए राखी बनाने की किट तैयार की गई है और बच्चों को पढ़ाया जा रहा है.