नेत्रहिनता पर मात कर कर्तव्य पालन, आरटीओ लिपिक ज्ञानेश्वर काले की सराहना

    Loading

    अमरावती. विगत छह वर्षों से अपने नेत्रहिनता पर मात कर प्रादेशिक परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में बतौर कनिष्ठ लिपिक कार्यरत ज्ञानेश्वर काले के कार्य तत्परता की सभी सराहना कर रहे है. जिले के शिवरा गांव में एक गरीब परिवार में जन्में ज्ञानेश्वर जन्म से ही दोनों आंखों से नेत्रहिन हैं. उनके परिवार में माता-पिता, चार भाई और एक बहन हैं.

    लेकिन अब उनकी मां का निधन हो गया है. उनका बचपन में शिवरा गांव में बिता. इसके बाद उन्होंने अमरावती में जेल क्वार्टर रोड स्थित अंध विद्यालय में पढ़ाई की. नेत्रहिन होने के कारण ज्ञानेश्वर को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. लेकिन कुछ करने की जिद में ज्ञानेश्वर ने वर्ष 2014 में सोलापुर से एमकेसीएल की परीक्षा पास की. इसके बाद वे सरकारी सेवा में आ गए.

    टेलीफोन संचालन, टाइपिंग की जिम्मेदारी

    अमरावती के आरटीओ में कनिष्ठ लिपिक के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, उन्हें कार्यालय में टेलीफोन संचालन और टाइपिंग की जिम्मेदारी दी गई. अब ज्ञानेश्वर ने सभी अधिकारियों के मोबाइल नंबर याद कर लिए हैं. किसी का भी मोबाइल नंबर पूछो तो वो जल्दी आपको बता देगा. इसलिए आरटीओ के अधिकारी व कर्मचारी ज्ञानेश्वर के कार्य को लेकर संतोष व्यक्त कर रहे हैं.

    बेटे को पुरी दृष्टि

    ज्ञानेश्वर काले का विवाह भी एक नेत्रहिन लड़की से हुई. लेकिन उसकी पत्नी को थोड़ा बहुत दिखता है. इसलिए वह घर के कामों के साथ ही दूसरे कामों में भी ज्ञानेश्वर की मदद करती है. ज्ञानेश्वर का अब एक साल का बेटा है, जिसकी पूरी दृष्टि है. इसलिए ज्ञानेश्वर को बड़ी राहत मिली है. ज्ञानेश्वर अब एक खुशहाल परिवार का नेतृत्व कर रहा है. ज्ञानेश्वर को आरटीओ राजाभाऊ गीते सहित अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों का अच्छा सहयोग है. इसलिए उसे अपने कर्तव्यों के पालन में कोई कठिनाई नहीं होती है.