Oranges, Santara Nuksan

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    मोर्शी (सं). तहसील में 1 फरवरी की मध्यरात्रि आंधी-तूफान ने कहर बरपाया. जिससे कुछ ही पलों में संतरा वागानों में मृगबहार का संतरा जमींदोज हो गया. संतरा उत्पादकों को कुछ ही मिनटों में करोड़ों रुपए की क्षति का सामना करना पड़ा है. इस तरह फिर एक बार संतरा उत्पादकों पर आफत टूट पड़ी है.

    3-4 दिनों से जारी है तेज हवाएं

    मोर्शी तहसील में पिछले 3-4 दिनों से जबरदस्त आंधी-तूफान ने हाजिरी लगाई. बुधवार की मध्यरात्रि चक्रवात के कारण पाला, सालबर्डी, भीवकुंडी, धानोरा, तरोड़ा, मलिमपुर, चिखलसावंगी, चिंचोली गवली, दापोरी, डोंगरयावली, मायवाडी, घोड़देव इन गांवों में संतरा उत्पादक किसानों का करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ. पिछले 25 दिनों पूर्व मोर्शी तहसील में जोरदार वेमौसम बारिश और मामूली ओले पड़े थे. जिसमें पहल ही नुकसान का सामना कर रहे किसानों को इस आंधी-तूफान ने आर्थिक रूप से हिलाकर रख दिया.

    मोर्शी व वरुड़ तहसील को संतरे का कैलिफोर्निया के रूप में संपूर्ण दुनिया में जाना जाता है, फरवरी महीने के शुरुआत में मौसम में बदलाव के कारण 25 दिनों पूर्व बेमौसम बारिश के बाद पिछले 4- 5 दिनों से जोरदार आंधी-तूफान शुरू है, जिसके कारण इसका सर्वाधिक असर संतरा उत्पादन पर पड़ा है. आंधी-तूफान के कारण मृगवहारका संतरा पेड़ों से जमीन पर टपककर जमींदोज हो गया है. संतरा उत्पादक किसानों की मदद के लिए शासन-प्रशासन द्वारा तत्काल क्षतिग्रस्त क्षेत्रों में पंचनामे करने की मांग प्रहार के उप तहसील प्रमुख नरेंद्र सोनागोते ने की है.

    संकट थमने का नाम नहीं

    मोर्शी तहसील में किसान पहले ही संकटों में घिरा है. वेमौसम बारिश, आंधी-तूफान, ओलावृष्टि जैसे नैसर्गिक कोप लगातार शुरू है. खरीफ सीजन में भी अत्याधिक वारिश ने फसलों को चौपट कर दिया. अब रबी फसलों पर भी नैसर्गिक मार शुरू है, वेमौसम बारिश के कारण अंबिया बहार का संतरा नहीं आ सका जिसके कारण संतरा उत्पादकों को पहले ही करोड़ों रुपए की क्षति होने का डर निर्माण हो गया है. मोर्शी तहसील में बेमौसम बारिश, आंधी-तूफान और ओलावृष्टि का प्रमाण अत्याधिक है.

    तहसील के दापोरी, डोंगरयावली, घोडदेव, पाला, सालबर्डी और हिवरखेड़ समेत तहसील के विभिन्न वागों में नैसर्गिक कोप के कारण बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. किसानों का अंबिया व मृगबहार का संतरा चौपट हो गया है. इसी तरह तुअर और कपास की फसल भी बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त हो गई है. पहले ही कर्ज के बोझ के तले दवे किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. उसमें लगातार नैसर्गिक संकट से किसान हैरान-परेशान हैं.