जिले के 180 गांवों में लंपी का प्रकोप, 4,600 मवेशी संक्रमित

    Loading

    अमरावती.  जिले में अब तक 4 हजार 600 मवेशियां लंपी रोग से संक्रमित है. जिले की सभी 14 तहसील निहाय 180 गांवों में लंपी बिमारी का प्रकोप है. पूरे जिले में इस बिमारी का संक्रमण फैला है. जानकारी अनुसार जिले में अब तक लंपी रोग से सैकड़ों मवेशियों की मौत हो चुकी है. हालांकि जिले में पशुओं की कुल संख्या की तुलना में केवल 2 प्रतिशत जानवर ही लंपी रोग से प्रभावित हैं. इसलिए जिले में लंपी का संक्रमण नियंत्रण में है, यह दावा प्रशासन का है. 

    2, 200 मवेशियां ठिक 

    31 अगस्त को पहली बार धारणी तहसील के ज़िल्पी और पडिदाम के जानवरों में लंपी संक्रमण का पता चला था. वहां 20 जानवर इस बिमारी से संक्रमित पाए गए. उसके बाद ज़िल्पी, पडिदाम, सावलखेड़, सोनबर्डी, बांबदा, धाराकोट, धुलघाट रोड, हीराबंबई, अंबापाटी और पिपादरी आदी गांवों में लंपी का संक्रमण बढते गया. जिस पर प्रशासन ने तत्काल कदम उठाते हुए पशु बाजार पर रोक लगा दी. उसके बाद एक महीने के भीतर ही यह देखा जा रहा है कि लंपी बिमारी पूरे जिले में फैल गई. जिले में अब तक कुल 4 हजार 600 मवेशियां लंपी से संक्रमित मिली हैं, लेकिन उनमें से 2 हजार 200 ठीक हो चुकी हैं. 

    90 प्रतिशत टीकाकरण

    जिले में कुल पशुओं की संख्या करीब 4 लाख 64 हजार है. इस हिसाब से लंपी संक्रमण से बचाव के लिए 4 लाख 10 हजार टीके मिले. अब तक 90 प्रतिशत यानी 3 लाख 50 हजार पशुओं का टीकाकरण पूरा हो चुका है. प्रशासन द्वारा टीकाकरण का कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है.  कुछ इलाकों में टीकाकरण में दिक्कतें भी देखी गईं. पशुपालकों से टीके के लिए पैसे लेने का मामला सामने आया था. इसके बाद संबंधित कर्मचारियों को भी निलंबित कर दिया गया. 

    सैकड़ों मवेशियों की मौत 

    जिले में कुल 4 हजार 600 जानवर लंपी से संक्रमित हुए और 2 हजार 200 जानवर ठीक हुए. हालांकि अब तक लंपी से सैकड़ों जानवरों की मौत हो चुकी है. इस बीमारी से अब तक कितने मवेशियों की मौत हुई हैं? इसके सटीक आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन पशु कल्याण विभाग को 70 से 75 जानवरों की मौत की रिपोर्ट मिली है. पंचनामा की सत्यता की जांच के बाद निश्चित आंकड़ा सामने आने की संभावना है. 

    काम के 2 स्तर

    जिले में पशुओं के चर्म रोग लंपी को नियंत्रित करने के लिए दो स्तरों पर कार्य किया जा रहा है. एक ओर जहां टीकाकरण से पशुओं को संक्रमित होने से बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर संक्रमित पशुओं का इलाज कर संक्रमण पर काबू पाया जा रहा है. जिले में पशुओं की कुल संख्या की तुलना में 2 प्रतिशत जानवर संक्रमित हैं. संक्रमण की दर कम है और स्थिति नियंत्रण में है. युद्ध स्तर पर टीकाकरण किया जा रहा है. पूरी टीम काम कर रही है. पंचनामा प्रक्रिया पूरी होने के बाद मवेशियों की मौत का सटिक आकड़ा स्पष्ठ होंगा.

    डॉ. संजय कावरे (सहायक संचालक पशुपालन विभाग)