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    • आयसीयू में बिजली गुल, रोगी की मौत
    • जिला अस्पताल की घटना

    अमरावती. कोरोना के कारण और सजग हो उठी राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवा-सुविधाएं बढ़ाने के लिए बजट में करोड़ों का प्रावधान बड़े पैमाने पर बढ़ा रही है. वहीं जिला सरकारी अस्पताल (इर्विन) का आयसीयू बगैर इनवर्टर अथवा जनरेटर की अत्यावश्यक सुविधा के बिना चल रहा है. शनिवार को केवल 5 मिनट के लिए बिजली गुल होते ही वेंटिलेटर पर इलाजरत एक युवा किसान की मौत हो गई. बिजली के अभाव में वेंटीलेटर बंद पड़ जाने से इस युवक को जान गंवानी पड़ी. 

    15 मार्च को किया था भर्ती 

    मृतक युवा किसान का नाम नरेश प्रकाश ढोके (30, म्हैसपुर,अमरावती) है. 15 मार्च को खेत में छिड़काव कर शाम को घर लौटते ही उसे उल्टियां होने से हालत चिंताजनक हो गई. परिजनों ने नरेश को तुरंत जिला सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया. पहले वार्ड क्रमांक 6 में उसे दाखिल कराया गया. वहां उपचार शुरू रहते नरेश होश में आते ही उसकी तबियत और अधिक खराब हो गई. जिससे डाक्टरों ने 16 मार्च को उसे अतिदक्षता विभाग (आयसीयू) में भर्ती कराया. हालत चिंताजनक होने से नरेश को वेंटीलेटर पर रखा गया.

    इस समय नरेश का मस्तिष्क व ह्रदय ठीक से काम कर रहा था. इसी दौरान जिला सरकारी अस्पताल की बिजली गुल हो गई. दुर्भाग्यवश वेंटीलेटर बंद पड़ गया. इनवर्टर अथवा जनरेटर की व्यवस्था नहीं होने या फिर वेंटीलेटर इस सुरक्षा प्रबंधों के दायरे से दूर रहने के कारण वेंटीलेटर बंद पड़ जाने से आयसीयू में नरेश की आक्सिजन के अभाव में पैर घिस-घिसकर तड़पते हुए मौत हो गई. 

    वैकल्पिक व्यवस्था नहीं

    हालांकि नरेश के परिजनों ने एक दिन पूर्व ही उसे निजी अस्पताल में ले जाने का निर्णय लिया था, लेकिन वेंटीलेटर से निकालना संभव नहीं है. इस स्थिति में जान जाने का खतरा रहने की जानकारी उपस्थित डाक्टरों ने नरेश के परिजनों को दी थी. जिससे परिजनों ने इर्विन में ही उपचार शुरू रखने का फैसला किया, लेकिन बिजली के अभाव में वेंटीलेटर बंद पड़ते ही नरेश की सांसें उखड़ गईं. जिला सरकारी अस्पताल के लिए महावितरण का स्वतंत्र फीडर है.

    जिससे यहां बिजली गुल नहीं होती. परंतु बादलों व अंधड़ के कारण कभी बिजली गुल हो भी जाती है तो इस तरह के अतिसंवेदनशील विभाग में बिजली आपूर्ति करने कोई दूसरी व्यवस्था कार्यरत नहीं है. इतना ही नहीं बल्कि आयसीयू का एसी भी बंद पड़ा है. कोई भी चप्पल-जूतों के साथ आयसीयू में भीतर प्रवेश करता है. यह दूरावस्था इर्विन के आयसीयू की हैं.    

    अव्यवस्था का शिकार-परिजन

    युवा किसान नरेश ढोके परिवार में एक अकेला कमाऊ व्यक्ति था. उसके जाने से परिवार पर संकट टूट पड़ा है. केवल सुविधा के अभाव व व्यवस्था की लापरवाही के कारण ही नरेश की जान जाने का आरोप उसके परिजनों ने किया है.  नरेश अपने पीछे पत्नी, एक 9 वर्ष और दूसरा 6 वर्ष का बेटा, इस तरह भरापूरा परिवार छोड़ गया है. 

    मुझे जानकारी नहीं

    जिला शल्य चिकित्सक डा.शामसुंदर निकम से जानकारी के लिए संपर्क किया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया. आरएमओ निरवणे ने भी फोन नहीं उठाया. आखिर आयसीयू के प्रमुख डा.सुखसले को काल करने पर उन्होंने कहा कि इस बारे में मुझे कुछ पता नहीं. इस मामले में हमारे वरिष्ठों से पूछना पड़ेगा, यह कहकर जानकारी नहीं दी.