Market Parvana incurs loss of 2.50 crores, losses in Corona

    Loading

    अमरावती. महानगर पालिका के सहायक संचालक नगर रचना आशीष उईके के फर्जी हस्ताक्षर कर प्लाट के सब-डिवीजन व्यवहार में फर्जीवाड़ा किये जाने का मामला प्रकाश में आया है. जेवड़ नगर के इस प्रकरण से शहर में ऐसे अनगिनत मामलों में करोड़ों का घालमेल किए जाने की संदेह बलवती हुआ है. इन मामलों की कड़ी जांच की मांग की जा रही है.

    एक प्लाट के दो टूकड़े कर अलग-अलग निर्माण कार्य करने के लिए शासन के नियमानुसार उस प्लाट का सब डिवीजन करना अनिवार्य होता है. बस इसी नियम का लाभ उठाकर व्यारे-न्यारे करने का खेल शुरू है. जिसकी कड़ी जेवड़ नगर प्रकरण में पकड़ी गई है. अब शहर में इस तरह का कितना फर्जीवाड़ा हुआ है, इसकी खोज मनपा प्रशासन स्तर पर शुरू कर दी गई है.   

    ADTP, इंजीनियर के डुप्लीकेट सिक्के  

    विगत् अक्टूबर माह में मनपा के सहायक संचालक नगर रचना विभाग अंतर्गत जमीन को दो हिस्सों में विभाजन करने के लिए की जाने वाली सब-डिवीजन प्रक्रिया में सहायक संचालक नगर रचना आशीष उईके के फर्जी हस्ताक्षर कर लाखों का व्यवहार किये जाने का मामला सामने आया. यह मामला गंभीर होने से मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे ने संबंधित अधिकारियों की बैठक लेकर जानकारी ली. दो दिनों के भीतर रिपोर्ट पेश करते हुए मामले की जांच करने के आदेश सहायक संचालक नगर रचना विभाग को दिये.

    अक्टूबर माह में सब डिवीजन की फाइल भेजी गई थी. जिसमें नगर रचना विभाग के प्रमुख आशीष उईके के हस्ताक्षर एवं मुहर लगाकर यह फाइल भेजी गई, लेकिन ऐसी किसी भी फाइल या किसी भी दस्तावेज पर हस्ताक्षर न किये जाने की बात स्वयं उईके ने स्पष्ट की. जिससे उनके फर्जी हस्ताक्षर किये जाने का मामला जांच में सामने आया और यह बड़ी हेराफेरी किये जाने का संदेह भी उन्होंने व्यक्त किया. जिस इंजीनियर नितिन वानखड़े के नाम, हस्ताक्षर व सिक्के संबंधित फाइल पर है. उस इंजीनियर ने भी अपने बयान में उसके हस्ताक्षर व सिक्का (मुहर) फर्जी रहने की बात कहीं है.   

    ‘वह’ मैं नहीं 

    प्लाट सब-डिवीजन व्यवहार के प्लाट धारक रवींद्र तुरपुड़े ने मनपा में अपने व्यवहार निर्माण अनुमति के जो दस्तावेज पेश किए, उसकी पड़ताल में खुलासा हुआ है कि परस्पर केवल दस्तावेजों पर यह मामला तैयार किया गया है. मनपा के पास अभी भी वह प्लाट महेश छाबड़ा के नाम है. जिससे तिरपुड़े द्वारा दायर दस्तावेजों पर जिस नितिन वानखड़े इंजीनियर के सिक्के व हस्ताक्षर है. उसका बयान सहायक संचालक नगर रचना कार्यालय द्वारा लिया गया, तो इंजीनियर वानखड़े ने ‘वह’ मैं नहीं रहने की बात पर जोर देते बताया कि, संबंधित दस्तावेजों पर उसके नाम के हस्ताक्षर व सिक्का फर्जी है.

    जिससे किसी शातिर गिरोह द्वारा यह फर्जीवाड़ा चलाए जाने की संभावना को बल मिला है. मनपा आयुक्त ने इसकी दखल लेकर तत्काल संबंधित विभाग की बैठक बुलायी. इस पूरे मामले में जांच के आदेश जारी करते तत्काल उस व्यक्ति की रजिस्ट्रार कार्यालय से जानकारी निकालकर एफआईआर दर्ज करने के आदेश भी जारी किए गये हैं. जिसके चलते इस मामले में अब कई अधिकारी एवं संबंधित व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज होना लगभग तय माना जा रहा है. 

    जांच के बाद एफआईआर

    इस मामले पर मनपा प्रशासन का कहना है कि जिसे सहायक संचालक नगर रचना विभाग की संपूर्ण जानकारी है, उसी ने यह फर्जी स्टाम्प पर फर्जी हस्ताक्षर कर लाखों रुपए की हेराफेरी की है. जो 420 के अंतर्गत मामला दर्ज करने के लिए काफी है. यह भी संदेह है कि, इस मामले में बाहर का व्यक्ति शामिल हो सकता है, लेकिन विभाग के स्टाम्प पेपर एवं मुहर भी लगाये जाने से प्रशासन को संदेह है कि, कोई सहायक संचालक नगर रचना विभाग का अधिकारी या फिर कर्मचारी इस मामले में लिप्त है.

    जिसके चलते विभाग की मुहर फर्जी फाइल पर लगाई गई है. इस पूरे मामले में फिर एक बार मनपा प्रशासन सुर्खियों में आ गया हैं, लेकिन मामले की जांच के बाद यह हेराफेरी करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने कार्रवाई की जाएगी. ऐसी जानकारी मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे ने दी.