प्रतीकात्मक तस्वीर
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    – त्रिदीप वानखड़े

    अमरावती. लगातार तीन दशकों से सिंचाई अनुशेष से जूझ रहे अमरावती संभाग का बैकलाग 27 वर्षों बाद भी दूर नहीं हो पाया है. जबकि अब संपूर्ण महाराष्ट्र का औसतन सिंचाई क्षेत्र 63.76 प्रतिशत पर पहुंच गया है. वहीं अमरावती संभाग में 1994 के आधार पर तय किए गए सिंचाई अनुशेष 35.11 प्रतिशत के मापदंड पर ही निपटाया जा रहा है.

    इस तरह राज्य के औसतन सिचांई क्षेत्र के मुकाबले अमरावती संभाग का नया अनुशेष वर्तमान बैकलाग के दुगना हो गया है. उसके बाद भी शासन-प्रशासन इस दिशा में कारगर उपाय नहीं कर पा रहा है. 

    सुजलाम-सुफलाम बनाने वैनगंगा-नलगंगा नदी लिंक प्रकल्प जरूरी 

    वर्तमान में 1994 के मापदंड के अनुसार संभाग में वर्तमान स्थिति में 1 लाख 33 हजार 712 हेक्टेयर क्षेत्र में अनुशेष है. शासन-प्रशासन यह अनुशेष दूर करने में ही धन्यता मान रहा है. जबकि राज्य में औसतन सिंचाई के आंकड़ों पर गौर करें तो अमरावती संभाग समेत विदर्भ अभी भी सिंचाई के मामले में दुगना अनुशेष झेल रहा है.

    इस लेवल को पार करने के लिए अत्यंत महत्वकांक्षी वैनगंगा-नलगंगा नदी लिंक परियोजना को अमल में लाने की नितांत आवश्यकता है. क्योंकि नए अनुशेष को दूर करने के लिए अमरावती प्रदेश (संभाग) में पानी की कमी है. यदि नदी जोड़ने की परियोजना को कार्यान्वित किया जाता है तो निश्चित ही अमरवाती संभाग समेत विदर्भ सुजलाम-सुफलाम होने का सपना साकार हो सकता है.

    नदी लिंक प्रोजेक्ट पर सीएम सकारात्मक 

    महाविकास आघाड़ी सरकार स्थापित होने के बाद द्रुत गति से अनुशेष दूर करने युद्धस्तर पर सिंचाई प्रकल्पों का काम निपटाया जा रहा है. सरकार ने 2019-20 में 1650 करोड़, 2020-21 में 1860 और 2021-22 में 2250 करोड़ की निधि संभाग का अनुशेष दूर करने उपलब्ध कराई है. यह अनुशेष दूर करने के लिए वरदान साबित होने वाले वैनगंगा-नलगंगा नदी लिंक प्रकल्प अभी तक केवल कागजों पर ही सीमित था. ठाकरे सरकार ने इस पर काम शुरू कर दिया है. इस संदर्भ में मेरी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से चर्चा हुई है. जल्द ही इस दिशा में नियोजन पर काम शुरू होने की आशा है. -बच्चू कडू, राज्यमंत्री जलसंपदा

    जून 2020 तक अनुशेष पर एक नजर (हेक्टेयर में)  

    • अमरावती जिला-46,489
    • अकोला-43,890
    • वाशिम-5,294
    • बुलडाना-45,784
    • कुल 1,41,457