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    औरंगाबाद: सड़कों (Roads) पर घूमने वाले मवेशियों (Cattle) पर औरंगाबाद महानगरपालिका प्रशासन (Aurangabad Municipal Administration) ने सख्त कार्रवाई शुरु की है। प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद होकर सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर मवेशी घूमते हुए ना दिखें, इसको लेकर सख्त कदम उठा रहा है। प्रशासन ने 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 इन 9 माह में  600 जानवरों को पकड़कर कोंडवाडा में बंद किया। उन जानवरों के मालिकों से 1 लाख 15 हजार 640 रुपए जुर्माना (Fine) भी वसूला गया है। यह जानकारी औरंगाबाद महानगरपालिका के मुख्य पशुसंवर्धन अधिकारी शेख शाहिद ने दी।

    शहर के सार्वजनिक स्थानों पर आए दिन मवेशियों का घूमना आम बात हो गया है। मवेशियों के सार्वजनिक स्थानों पर घूमने अथवा सड़कों के बीचो-बीच जमा होने से कई समस्याएं निर्माण हो रही है। सार्वजनिक स्थानों और सड़कों पर यातायात में निर्माण होनेवाली बाधाएं दूर करने के लिए  प्रशासन ने  मवेशी के मालिकों को चेताया कि वे अपने मवेशी सार्वजनिक स्थानों  पर ना छोडे। वरना, मवेशियों के मालिकों से जुर्माना वसूलने के साथ ही उनके खिलाफ फौजदारी मामले दर्ज किए जाएंगे।

    महानगरपालिका प्रशासन ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया 

    उधर, महानगरपालिका उपायुक्त सौरभ जोशी ने बताया कि आवारा जानवरों के चलते यातायात में बड़े पैमाने पर बाधाएं निर्माण हो रही है। जानवर पालनेवालों से महानगरपालिका प्रशासन ने कई बार अपील की है कि वे अपने जानवर सड़कों पर ना छोडें, इसके बावजूद मवेशी मालिक हटधर्मी करते हुए मवेशियों को सड़कों पर छोड़ रहे हैं। उन लोगों को सबक सिखाने के लिए महानगरपालिका प्रशासन ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है। उस निर्णय के तहत सड़कों पर घूमने वाले मवेशी मालिकों से जुर्माना के साथ-साथ उनके खिलाफ फौजदारी मामले भी दर्ज किए जाएंगे। इधर, महानगरपालिका प्रशासन ने यातायात में बाधा बन रहे मवेशियों का बंदोबस्त करने के लिए सड़कों पर घूमने वाला कोंडवाड़ा भी तैयार किया है। पकड़े हुए जानवर सिध्दार्थ उद्यान, प्राणी संग्रहालय के निकट स्थित कोंडवाडा में जमा किए जाते है। 

    आखिर कब होंगे शहर के बाहर तबेले 

    शहर के खाम, सुखना नदी के किनारों के अलावा शहर में स्थित नालों के खुले जमीन पर बड़े पैमाने पर लोगों ने अतिक्रमण कर वहां जानवरों के तबेले बनाए हैं। जानवरों के उन तबलों से परिसर के नागरिक परेशान हैं। प्रशासन ने कई बार घोषणा थी कि जल्द ही नालों और नदी के किनारे स्थित जानवरों के तबेलों को  शहर के बाहर स्थानांतरित किया जाएगा। विशेषकर दुध नगरी के लिए सरकार ने चारागाह जमीन भी उपलब्ध करायी थी, परंतु वर्तमान में वहां कचरा प्रक्रिया प्रकल्प केन्द्र निर्माण किया गया है। जिसके चलते शहर के तबेले शहर के बाहर नहीं हो पाए।