Aastik Kumar Pandey

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    औरंगाबाद. केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा गंगा एवं सहायक नदियों की स्वच्छता और निर्मलता के  अभियान को और अधिक गति  देने के लिए जल्द ही नमामि गंगे 2.0 परियोजना शुरुआत करने जा रही है। इस परियोजना में महाराष्ट्र से नदियों के किनारे बसे दो शहर औरंगाबाद और पुणे को शामिल किया गया है। बीते 8 माह से शहर की खाम नदी की सफाई का काम महानगरपालिका कमिश्नर (Municipal Commissioner) आस्तिक कुमार पांडेय (Aastik Kumar Pandey) ने जनसहभाग से हाथ में लिया है। बिना निधि की जनसहयोग से कमिश्नर पांडेय द्वारा किए गए कार्य की दखल केंद्र सरकार ने ली है।  कोविड को लेकर जारी कड़े लॉकडाउन में भी जनसहभाग से खाम नदी की सफाई की गई।  

    केंद्र सरकार ने नमामी गंगे परियोजना में औरंगाबाद को शामिल करते ही सोमवार की सुबह इस अभियान में शामिल किए नए शहरों के महानगरपालिका कमिश्नर और  अन्य आला अधिकारियों से केंद्र सरकार के संबंधित विभाग के आला अधिकारियों ने ऑनलाईन बैठक लेकर चर्चा की।  बैठक में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स के संचालक हितेश वैद्य, नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के संचालक राजीव रंजन मिश्रा ने शामिल होकर नमानी गंगा प्रकल्प में नदियों का पुनर्जीवित करने के लिए सरकार द्वारा हाथ में लिए गए इस अभियान में किए जानेवाले कार्यों की जानकारी दी। बैठक में औरंगाबाद महानगरपालिका कमिश्नर  आस्तिक कुमार पांडेय भी शामिल हुए।

    सफाई करने का नियोजन केंद्र सरकार कर रही है

    नदियों को पुनर्जीवित करने में देश के अलग-अलग शहरों में लिए गए विविध उपक्रमों का अभ्यास कर एक  गाईड लाईन तैयार करने का काम केंद्र सरकार द्वारा जारी किया गया है। नदियों की सफाई सीपीजे यानी पहले सिटीजन, फिर निजी संस्था और तीसरे चरण में सरकार के निधि से सफाई करने को लेकर नदी सफाई पुनर्जीवित मॉडल विकसित करने का नियोजन किया जा रहा है।  अब तक  नदियों की सफाई  सरकारी निधि से होती रही, परंतु सफाई के बाद बेहतर रखरखाव न होने के कारण फिर नदियों में गंदगी फैलती है।  इसके रोकथाम के लिए जो शहर के नदी के किनारे बसे है, उन शहरों के जनता की  मदद लेकर नदियों की सफाई करने का नियोजन केंद्र सरकार कर रही है।  

    रखरखाव पर जोर देने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया है

    बैठक के बाद महानगरपालिका कमिश्नर आस्तिक कुमार पांडेय ने आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि नमामि गंगे परियोजना के दूसरे चरण में जल मल संयत्रों सहित समस्त परियोजना के रखरखाव पर जोर देने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नदी के किनारे बसे शहरों ने नदी और नालों की सफाई कर उसे अपने स्तर पर  पुनर्जीवित  करने का एकसूत्र दिया था। उसी के तहत 8 माह पूर्व शहर की खाम नदी सफाई अभियान जनसहभाग से शुरु किया गया है।

    निजी संस्था की मदद ली गई

    वर्तमान में सरकार से निधि पाए बिना खाम नदी की सफाई के अलावा पंचिंग और डपिंग का काम बड़े पैमान पर किया गया।  नदी परिसर में 10 हजार पौधे भी लगाए गए।  नदी की सफाई के लिए वैराक ग्रुप और अन्य निजी संस्था की मदद ली गई। आस्तिक कुमार पांडेय की संकल्पना से खाम नदी की जनसहभाग से शुरु की गई सफाई के काम की दखल केंद्र सरकार ने लेकर नमामी गंगा प्रकल्प चरण 2 में औरंगाबाद को शामिल किया गया।  कमिश्नर आस्तिक कुमार पांडेय ने बताया कि राज्य सरकार की माझी वसुंधरा अभियान का फायदा भी खाम नदी की सफाई के लिए हुआ। उसके लिए राज्य के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे का बड़े पैमाने सहयोग मिला।  

    डीपीआर को पेश किया जाएगा

    खाम नदी को पुनर्जीवित करने का काम 15 चरणों में पूरा किया जाएगा। उसके लिए लंबा समय जरुर लगेगा। डीपीआर तैयार होते ही खाम नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जरुरी निधि के लिए सरकार के समक्ष उक्त डीपीआर को पेश किया जाएगा।  कमिश्नर ने बताया कि औरंगाबाद खाम नदी और सूखना नदी पर बसा है। जनवरी माह में खाम नदी की सफाई का काम हाथ में लेने के बाद प्रशासन ने शहर के नालों की सफाई बेहतर रुप से की। शहर के नागरिक बड़े पैमाने पर नालों में कचरा विशेषकर प्लास्टिक की थैलियां बड़े पैमाने फेंकते है। 

    नालों में बड़े पैमाने पर आज भी गंदगी है

    शहर के कई नाले खाम और सूखना नदी से जुड़े हुए है। इन नालों की गंदगी खाम और सूखना नदी में जाने से बारिश के मौसम में नदी के किनारे बसे कॉलोनियों को बाढ़ का सामना करना पड़ता है। प्रशासन द्वारा इस साल नालों की सफाई बेहतर रुप से की गई, जिससे नदी के किनारे हालत काबू में रहे। आस्तिक कुमार पांडेय ने बताया कि नालों में बड़े पैमाने पर आज भी गंदगी है। उसकी सफाई के लिए और 2 साल का समय लगेगा।  शहर में 32 स्थानों से नालों में बड़े पैमाने पर कचरा फेंका जाता है।  उन नालों में लोग कचरा ना फेंके इसको लेकर नालों के उन  32  किनारे वाले स्थानों पर जालियां लगाने का काम युध्दस्तर पर जारी है।  ताकि, लोग नालों में कचरा ना फेंके।  

    एसटीपी प्लांट का होगा फायदा 

    कमिश्नर ने बताया कि नालों से बहनेवाले गंदगी पर प्रक्रिया कर उसका इस्तेमाल इंडस्ट्रीज और इमारतों के निर्माण को करने के लिए प्राथमिकता देने का निर्णय इस योजना के तहत लिया गया है।  शहर के कांचनवाडी परिसर में हमने एसटीपी प्लांट  का निर्माण किया हुआ है, उसका फायदा इस अभियान के लिए बड़े पैमाने पर होगा।   नालों से  आनेवाला गंदा पानी नदी में जाने के बजाए उसे एसटीपी प्लांट की ओर टर्न किया जाएगा। शहर में 210 एमएलडी का एसटीपी प्लांट तैयार है।  नालों का गंदा पानी नदियों में जाने देते हुए एसटीपी प्लांट में टर्न हुआ तो नदी में गंदगी भी नहीं फैलेगी।  

    नियोजन कर हटाए जाएंगे नदी के किनारे फैले अतिक्रमण  

    अंत में कमिश्नर आस्तिक कुमार पांडेय ने बताया कि औरंगाबाद  कार्बन  न्यूट्रल शहर है।  गत डेढ़ माह में शहर में आसमान फटने जैसी स्थिति कई बार बनी।  विश्व स्तर पर वातावरण में बदलाव होने से आसमान फटने जैसी घटनाएं कई शहरों में होकर भारी बारिश हुई।  जिससे शहर में खाम और सूखना नदी के किनारे बसे लोगों को कई कठिनाईयों का सामना बीते डेढ़ माह में हुआ।  ऐसे में नदी के किनारे अवैध रुप से बस्तियों का निर्माण कर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण किया गया।  यह अतिक्रमण हटाने का काम भी नमामि गंगा परियोजना के तहत नियोजन कर दिया जाएगा।  उसके लिए अतिक्रमण हटाने के बाद उक्त खुली जमीन का इस्तेमाल कैसे किया जाए, उसके लिए एक समिति का गठन कर उसका हल निकाला जाएगा।