औरंगाबाद महानगरपालिका ने रिजक्ट हुए पाइप बिछाकर, नई पेयजल योजना का काम किया आरंभ

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    औरंगाबाद : राज्य सरकार ने शहर की पेयजल समस्या हल करने के लिए हाथ में ली 1680 करोड़ रुपए की पेयजल योजना का काम हाल ही में जायकवाडी बांध से पाइप लाइन बिछाने के कार्य से शुरु हुआ है। नई योजना के लिए एमजेपी द्वारा नियुक्त एजेंसी ने महानगरपालिका द्वारा रिजक्ट किए हुए पाइप बिछाये जाने की जानकारी सामने आने पर महानगरपालिका प्रशासन के कान खड़े हुए हैं। जिन पाइपों को बिछाकर नई पेयजल योजना का काम शुरू किया गया है, उक्त पाइप पर आईएसआई मार्क ही नहीं है, जिसके चलते बिछाए गई पाइपों के क्वालिटी को लेकर कई सवाल उपस्थित हो रहे है। जिससे योजना के प्राथमिक काम में कई प्रशन उपस्थित होना शुरु हुए है। 

    बता दे कि शहर की पेयजल समस्या हल करने के लिए राज्य सरकार ने 1680 करोड़ रुपए की योजना का काम महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण (एमजेपी ) के माध्यम से हाथ में लिया है। एमजेपी ने इस योजना का काम हैदराबाद की जीवीपीआर कंपनी को दिया है। गत सप्ताह इस कंपनी ने जायकवाडी बांध के  निकट से मुख्य पाइप लाइन बिछाने का काम शुरु किया। योजना का काम शुरु करने के लिए कंपनी द्वारा 5 पाइप साइट पर पहुंचाएं गए थे। दो दिन कंपनी द्वारा युद्धस्तर पर योजना का काम जारी रखा गया। इसी दरमियान महानगरपालिका अधिकारियों ने नियुक्त एजेंसी द्वारा योजना के लिए बिछाए जाने वाले पाइपों पर आक्षेप लेकर उन पाइपों को रिजक्ट किया था। इसके बावजूद योजना का काम ली एजेंसी ने महानगरपालिका द्वारा रिजक्ट किए हुए पाइपों को ही योजना के काम के लिए इस्तेमाल कर काम शुरु किया है। महानगरपालिका सूत्रों ने बताया कि जिन पाइपों को बिछाया गया है, उस पर आईएसआई मार्क नहीं है। जिसके चलते नई पेयजल योजना के काम के लिए बिछाए जा रहे पाइप की क्वालिटी पर कई सवाल उपस्थित हो रहे है। बता दे कि शहर की पेयजल समस्या हल करने के लिए इससे पूर्व हाथ में ली गई समानांतर योजना के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सभी पाइपों पर आईएसआई मार्क था। उक्त योजना के पाइप आज भी जायकवाडी बांध के निकट पड़े हुए है। हाल ही शहर के कुछ पत्रकारों ने जायकवाडी बांध के निकट का दौरा किया था, तब बंद पडी समानांतर योजना के पाइप पड़े हुए नजर आए। जिस पर आईएसआई मार्क है। जिसके चलते नई पेयजल योजना के लिए बिछाए जा रहे पाइप की क्वालिटी पर अब कई सवाल उठने लगे है।

    पाइप की थिकनेस में कोई समझौता नहीं : अजय सिंह 

    उधर, महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के कार्यकारी अभियंता अजय सिंह ने बताया कि योजना के काम के लिए तैयार किए गई पाइप का यह प्रथम लॉट था। पाइप के फिनिशिंग में फर्क हो सकता है। क्योंकि, यह पाइप प्रथम लॉट के है। परंतु, पाइप के थिकनेस में किसी तरह का समझौैता न करने का निर्णय एमजेपी ने लिया हुआ है। जो पाइप बिछाए गए है, वे बेहतर क्वालिटी के है। क्योंकि, आईएसआई मार्क यह सिर्फ एक ब्रांड का होता  है। हम बीआईएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) के अनुसार काम कर रहे है। पाइप पर आईएसआई मार्क है या नहीं, इसका महत्व नहीं है। पाइप की थिकनेस योजना के लिए महत्वपूर्ण है। जो पाइप बिछाए गए है, उसकी थिकनेस एमजेपी द्वारा तय किए हुए मानांकनों के अनुसार है। अजय सिंह ने साफ कहा कि हम योजना के काम में किसी तरह का कोई समझौता नहीं करेंगे।