जनभागीदारी से सफल होगा ‘चला जाणुया नदिला’ अभियान: आस्तिक कुमार पांडेय

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    औरंगाबाद : बढ़ता शहरीकरण (Urbanization) और औद्योगीकरण नदियों (Industrialization Rivers) पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। प्रदूषण (Pollution) जैसी बढ़ती समस्याओं के कारण उपलब्ध भूजल की उपयोगिता कम होती जा रही है। इन्हीं सब पहलुओं पर विचार करते हुए नदी को जानने और उसकी समस्याओं का अध्ययन कर समाधान करने के लिए ‘चला जाणुया नदिला’ अभियान (‘Chala Januya Nadila’ Campaign) शुरू किया गया है। जनभागीदारी से यह अभियान सफल होगा। यह जानकारी कलेक्टर आस्तिक कुमार पांडेय (Collector Astik Kumar Pandey) ने दी। चला जाणुया नदीला इस अभियान के लिए नियुक्त जिलास्तरीय समिति की बैठक जिला अधिकारी कार्यालय में संपन्न हुई। उक्त बैठक में मार्गदर्शन करते हुए कलेक्टर पांडेय ने यह बात कही। 

    कलेक्टर ने कहा कि इस अभियान की शुरुआत 2 अक्टूबर को स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर सेवाग्राम वर्धा से की गई है। इस अभियान के तहत 26 को खाम नदी का भ्रमण किया जाएगा। साथ ही 12 से 25 दिसंबर तक शिवना और दुधना नदी और उसके आसपास का दौरा किया जाएगा। इस अभियान के बारे में जागरूकता पैदा की जानी चाहिए। इस अभियान में जनभागीदारी जरूरी है। इसमें एनजीओ, छात्रों और अभिभावकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी। इसलिए जिला कलेक्टर ने सभी से एकजुट होकर इस अभियान को सफल बनाने की अपील की।

    अभियान के बारे में जागरूकता पैदा करना आवश्यक है

    मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. विकास मीणा ने कहा कि इस अभियान को सफल बनाने में छात्रों के साथ-साथ अभिभावकों को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से इस अभियान के बारे में जागरूकता पैदा करना आवश्यक है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. विकास मीणा, अपर कलेक्टर डॉ. अनंत गव्हाणे, डिप्टी कलेक्टर संगीता सानप, रामेश्वर रोडगे, राज्य स्तरीय समिति सदस्य रमाकांत कुलकर्णी, अभियान समन्वयक अन्ना वैद्य, गोकुल सुरासे, श्याम दंडे, सतीश वाघ सहित संबंधित व्यवस्था प्रमुख उपस्थित थे। 

    अभियान का उद्देश्य 

    1. नदी संचार अभियान का आयोजन करना 
    2. जनता के लिए नदी साक्षरता के उपाय तैयार करना
    3. नागरिकों के सहयोग से नदियों का व्यापक अध्ययन करना और उसका प्रचार-प्रसार करना
    4. अमृत चैनल बनाने के लिए प्रारूपण
    5. नदी के स्वास्थ्य और मानव स्वास्थ्य के लिए एक अभियान और प्रसार योजना तैयार करना
    6. नदी तटों और धाराओं की जैव विविधता के संबंध में हर जिले में प्रचार-प्रसार की योजना बनाना
    7. उपयुक्त स्थानों पर वर्षा जल रोककर, जन जागरूकता पैदा करके भूजल स्तर को ऊपर उठाना