कोरोना महामारी में उद्यमियों के टूटे हुए मनोबल को संवारेगा सीआईआई

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    औरंगाबाद: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की दूसरी लहर (Second Wave) के बाद राज्य भर के छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों का मनोबल काफी टूट गया है। व्यवसाय में अधिक इजाफा न होने के कारण उद्यमियों में बेचैनी है। उद्यमियों में फैली बेचैनी और टूटे हुए मनोबल को बढ़ाने में भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की महाराष्ट्र स्टेट कौन्सिल जूटी है। यह जानकारी सीआईआई के महाराष्ट्र प्रदेश कौन्सिल के चैयरमेन सुधीर मुतालिक, मराठवाडा जोन के चैयरमेन रमन अजगांवकर, एंड्रेस एंड हाउजर कंपनी के एमडी श्रीराम नारायणन, प्रसाद कोकिल ने  आयोजित प्रेस वार्ता में दी।

    सीआईआई के महाराष्ट्र स्टेट कौन्सिल के अलग-अलग  जोन की बैठक औरंगाबाद (Aurangabad) में संपन्न हुई। उसके बाद पत्रकारों से वे मुखातीफ हुए। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बाद सीआईआई विशेष रुप से  दो स्तर पर काम में जूटा है। जिसमें प्रथम महामारी की दूसरी लहर को लेकर लगाए गए लॉकडाउन के चलते उद्यमियों का हुआ आर्थिक नुकसान, सप्लाई और वितरण में आई बाधाएं, बिल बनने के बाद माल सप्लाइ का पेमेंट मिलने में हुई दुविधाओं से राज्य भर के उद्यमियों का मनोबल टूटा है। विशेषकर, उद्योग क्षेत्र के निवेश में भारी गिरावट आई है। उद्योगों  के विस्तारीकरण पर ब्रेक लगा है। 

    कम हो रहे रोजगार के अवसर

    रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। जिससे उद्यामियों का मनोबल टूटकर वे हताश हुए है। हताश हुए उद्यमियों के मनोबल को संवारने के लिए राज्य के  3-4 जिलों में सीआईआई पदाधिकारी उद्यामियों से चर्चा कर उनकी समस्याओं को जानकर उन्हें हल करने में जूटे है। 

    कई प्रश्नों को हल करने में कामयाब हुआ सीआईआई 

    सीआईआई के महाराष्ट्र प्रदेश कौन्सिल के चैयरमेन सुधीर मुतालिक ने दावा किया है कि पिछले कुछ सालों में सीआईआई केन्द्र और राज्य सरकार के समक्ष उद्यामियों के प्रश्नों को पेश कर उन्हें हल करने में कामयाब हुआ हैं। सरकार के समक्ष हमने 20 मुद्दे रखे थे, जिसमें से 8 मुद्दों को हल कराने में सीआईआई को कामयाबी मिली है। उद्योग के निर्माण के लिए लगनेवाले सामान की यातायात पर अधिक की फिस लगायी थी। उसे कम करने में सीआईआई कामयाब हुआ। 

    प्रति यूनिट बिजली के दाम कम करवाना हमारी  प्राथमिकता 

    महाराष्ट्र से सटे गुजरात, छत्तीसगढ़, गोवा राज्यों में उद्योजकों को आपूर्ति की जानेवाली बिजली की दाम में 2 से 4 रुपए प्रति यूनिट का अंतर है। सीआईआई पिछले कुछ सालों से उद्योजकों को आपूर्ति की जानेवाली बिजली के दाम कम करने के लिए राज्य सरकार से  प्रयास जारी है। उसको लेकर सीआईआई के पदाधिकारियों ने राज्य के उद्योगमंत्री सुभाष देसाई और महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग, महावितरण के आला अधिकारियों  से कई बार चर्चा की। आयोग ने अंतर-अंतर में बिजली के दाम कम करने का आश्वासन सीआईआई को दिया था। परंतु, आज तक बिजली के दाम कम नहीं हो पाए। इस पर सीआईआई के पदाधिकारियों ने नाराजगी जताते हुए महाराष्ट्र में उद्योगों के लिए बिजली के दाम अधिक होने को लेकर  चिंता जताई। मुतालिक ने कहा कि औरंगाबाद मराठवाड़ा का ऑटो हब है। यहां बड़े पैमाने पर वाहनों के स्पेटर पार्टस उत्पादित होते है। लेकिन, यहां बिजली के दाम प्रति यूनिट अधिक होने से उत्पादित माल का दाम अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक हो  जाता है। जिससे उत्पादित माल के बिक्री में कई दिक्कतें निर्माण होती है। वहीं, दूसरी तरफ गुजरात राज्य में बिजली के दाम महाराष्ट्र से कम होने से वहां उत्पादित माल के दाम कम होते हैं। सुधीर मुतालिक ने कहा कि जल्द ही बिजली के दाम कम करने के लिए सीआईआई के पदाधिकारी राज्य विद्युत नियामक आयोग और उद्योगमंत्री के साथ एक बैठक करेगा। प्रति यूनिट 1 रुपए भी कम हुआ तो उद्यमियों को  अपने उत्पादन में काफी फायदा होगा।

    केन्द्र की नीतियों से हुआ बड़े पैमाने पर फायदा 

    सीआईआई के मराठवाडा जोन के चैयरमेन रमन अजगांवकर ने केन्द्र सरकार की उद्योग क्षेत्रों के वृध्दि के लिए अपनाई जा रही नीतियों पर खुशी जाहिर करते हुए बताया कि कोरोना काल में केन्द्र सरकार की नीतियों का उद्यामियों को बड़े पैमाने पर लाभ हुआ है। कोरोना महामारी में परेशान छोटे उद्यमियों के पास कार्यरत कामगारों की प्रोविडेंट फंड (पीएफ )की राशि केन्द्र सरकार अदा कर रही है। पहले इसकी मियाद 31 दिसंबर 2021 तक थी। सीआईआई ने इसमें और वृध्दि करने की मांग करने पर केन्द्र सरकार ने आगामी तीन माह तक छोटे उद्यामियों के पास कार्यरत कामगारों की पीएफ राशि अदा करने का निर्णय लिया है।  

    व्यवसाय करने में काफी राहत मिली 

    रमन अजगांवकर ने बताया कि छोटे, मध्यम उद्योजकों को सरकारी कंपनियों के साथ व्यवसाय करने के लिए कुल व्यवसाय के 10 प्रतिशत राशि की सरकारी बैंक की गारंटी देने का नियम था। जिससे उद्यमियों को काफी मुश्किलें हो रही थी। सीआईआई के प्रयासों से केन्द्र के उद्योग मंत्रालय ने गारंटी की राशि 3 प्रतिशत की है। जिससे छोटे और मध्यम उद्योगों को सरकारी कंपनियों के साथ व्यवसाय करने में काफी राहत मिली है।