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    औरंगाबाद: स्वतंत्र मजदूर संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.एस. पाटिल ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार (Central Government) ने नए बिजली बिल (New Electricity Bill )के माध्यम से विभिन्न राज्य सरकारों के स्वामित्व वाली बिजली कंपनियों (Power Companies) को पूंजीपतियों को सौंपने की नींव रखी है। संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार नया बिजली बिल पेश करेगी। अखिल भारतीय स्वतंत्र विद्युत कर्मचारी महासंघ ने हाल ही में नई दिल्ली में जंतर-मंतर पर बिल का विरोध करने के लिए एक विशाल धरना दिया। 

    इस मौके पर सांसद राजकुमार सैनी, उपाध्यक्ष एफसी जस्सल, एस.के. सचदेव, पूर्व सांसद सावित्री फुले, (उत्तर प्रदेश) एन.बी. जारोंडे, ए.वी. किरण शामिल थे। इस अवसर पर बोलते हुए श्रमिक नेता जे.एस. पाटिल ने कहा कि जब कई राज्यों में बिजली कंपनियां मुनाफे में हैं तो निजीकरण का कोई औचित्य नहीं हैं। निजीकरण के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित वहां के कर्मचारी और कामगार होंगे, जनता भी प्रभावित होगी। बिजली के बिलों में भारी वृद्धि की संभावना है और बिजली जैसी बुनियादी सेवाएं पूंजीपतियों के गले से उतर जाएंगी और उनका एकाधिकार बढ़ेगा।

    कुछ राज्यों में चूंकि बिजली कंपनियां राज्य सरकार के अधिकार में काम कर रही हैं, इसलिए गरीब लोगों को बिजली के बिलों को नियंत्रण में रखकर रियायती दरों पर बिजली की आपूर्ति की जाती है। इस धरना आंदोलन में केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश सहित महाराष्ट्र के सभी जिलों के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। तेलंगाना, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि से लगभग 15 हजार प्रतिनिधियों ने भाग लिया।