Aurangabad

Loading

छत्रपति संभाजीनगर: हाल ही में केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार द्वारा औरंगाबाद (Aurangabad) का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर (Chhatrapati Sambhajinagar) करने को दिखाई हरी झंडी के चलते प्रशासन स्तर पर शहर का नाम चेंज करने को लेकर जारी उठा-पठक के बीच सरकार के निर्णय के खिलाफ आंदोलन (Protests) का सिलसिला जारी हैं। इसी कड़ी में मुस्लिम नुमाइंदा कौन्सिल के बैनर तले विभागीय आयुक्तालय के सामने धरना-आंदोलन किया गया। आंदोलन में हजारों नागरिकों ने हिस्सा लेकर औरंगाबाद का नाम बदलने का विरोध किया है। 

आंदोलन के दौरान मंच पर उपस्थित मुस्लिम नुमाइंदा कौन्सिल के पदाधिकारियों और शहर के समाजसेवकों ने अपने विचार रखकर सरकार द्वारा औरंगाबाद का नाम बदलने के निर्णय पर कड़ी नाराजगी जताते हुए अन्य शहर बसाकर उस शहर को छत्रपति संभाजीनगर का नाम देने की मांग की। 

नाम बदलकर सरकार क्या हासिल करना चाहती है?

मंच पर उपस्थित कौन्सिल के पदाधिकारियों का कहना था कि इस शहर की पहचान ऐतिहासिक शहर के रुप में है। पूरे विश्व में औरंगाबाद का नाम ऐतिहासिक शहर के रुप में जाना जाता है। आज शहर के नागरिकों को मूलभूत सुविधाओं की जरुरत हैं। औरंगाबाद का नाम बदलकर सरकार क्या हासिल करना चाहती है? यह सवाल पदाधिकारियों ने उपस्थित कर सरकार से विनंती की है कि वे तत्काल शहर के नामांतर के निर्णय को रद्द करें। मंच पर उपस्थित सभी पदाधिकारियों ने कहा कि हम सभी छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज की आदर करते हैं, परंतु उनका शहर से कोई  संबंध था ही नहीं, फिर शहर का नाम बदलकर क्यों दो समुदाय में तनाव पैदा किया जा रहा हैं। उधर, आंदोलन के दरमियान मुस्लिम नुमाइंदा कौन्सिल के पदाधिकारियों ने डिविजनल कमिश्नर से मुलाकात कर नामांतर के खिलाफ एक विस्तृत निवेदन देकर विरोध जताया। 

इनकी थी उपस्थिति 

मंच पर प्रमुख रुप से मुस्लिम नुमाइंदा कौन्सिल के अध्यक्ष सलीम सिद्दीकी के अलावा सांसद इम्तियाज जलील, वंचित बहुजन आघाडी की महिला प्रदेश अध्यक्ष रेखाताई ठाकुर, बसपा के जिला अध्यक्ष समाधान जाधव, संगठन के मार्गदर्शक जियाउद्दीन सिद्दीकी, मौलाना अब्दुल कवी फलाही, मौलाना अब्दुल रशीद मदनी, अवेस अहमद के अलावा  मौलाना अनवर उल हक  इशाती, उपाध्यक्ष कामरन अली खान, मौलाना शरीफ निजामी आदि उपस्थित थे।