औरंगाबाद: औरंगाबाद महानगरपालिका (Aurangabad Municipal Corporation) में करीब 550 कामगार ठेका पद्धती पर काम करते है। ठेका प्रणाली पर काम करने वाले कामगारों (Workers) का पीएफ (PF) पिछले कई सालों से महानगरपालिका को मैन पॉवर सप्लाई करने वाले ठेकेदारों (Contractors) ने भरा नहीं है। यह बात सामने पर महानगरपालिका ने सख्त निर्णय लेते हुए ठेकेदारों को एक पत्र (Letter) देकर चेतावनी दी है कि वे पहले पीएफ जमा करने के दस्तावेज महानगरपालिका के पास जमा करें, तब जाकर बकाया राशि मिलेगी। महानगरपालिका के इस निर्णय से सालों से कामगारों का पीएफ न भरने वाले ठेकेदारों की नींद हराम है।
गौरतलब है कि हाल ही में पीएफ कार्यालय ने महानगरपालिका के बैंक खाते से कामगारों की पीएफ की बकाया राशि को लेकर 10 करोड़ रुपए अपने खाते में ट्रान्सफर कर लिए थे। पीएफ कार्यालय द्वारा रकम ट्रान्सफर करने की गई कार्रवाई के बाद महानगरपालिका प्रशासन सक्ते में था। इधर, महानगरपालिका प्रशासन ने पीएफ कार्यालय द्वारा 10 करोड़ रुपए की राशि ट्रान्सफर करने की गई कार्रवाई के बाद करीब 8 करोड़ रुपए ठेकेदारों से वसूलने का निर्णय लिया है।
न्यायालय का दरवाजा खटखटाया
इधर, पीएफ कार्यालय ने कुछ माह पूर्व महानगरपालिका के गुंठेवारी शुल्क के ऐवज में जमा रकम से परस्पर 10 करोड़ रुपए कामगारों के पीएफ की ऐवज में अपने खाते में ट्रान्सफर किए थे। महानगरपालिका ने इस मामले को न्यायालय का दरवाजा खटखटाया हुआ है। न्यायालय के आदेश पर पीएफ कार्यालय ने करीब 5 करोड़ रुपए की राशि महानगरपालिका को लौटाई है। उधर, बीते दो माह से महानगरपालिका प्रशासन ठेकेदारों ने कितने सालों से पीएफ अदा नहीं किया, इसकी जानकारी जमा करने में कामयाब रहा। इसके लिए महानगरपालिका के मुख्य लेखाधिकारी वाहुले ने कड़ी मेहनत की। जिन ठेकेदारों ने कामगारों की पीएफ की राशि अदा नहीं की, उनकी सूची बनाकर उन्हें पत्र जारी किया गया है।
महानगरपालिका के आदेश में ब्लैक लिस्ट की चेतावनी
महानगरपालिका प्रशासन के कामगार उपायुक्त, मुख्य लेखाधिकारी और शहर अभियंता ने एक आदेश जारी किया है। उसमें उच्च न्यायालय ने दिए हुए आदेश पर तत्काल महानगरपालिका में 2011 से कार्यरत ठेकेदारों की जानकारी जमा कर उनसे तत्काल पीएफ रकम भरकर लें। ठेकेदारों ने कामगारों का पीएफ, ईएसआईसी भरा है क्या? इसकी जानकारी ले। जो ठेकेदार सहकार्य नहीं कर रहे हैं, या फिर जानकारी नहीं दे रहे हैं, ऐसे ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट करने की चेतावनी दी है। प्रशासन द्वारा जारी किए आदेश से सालों से पीएफ अदा न करते हुए अपने जेब भरनेवाले ठेकेदारों की नींद हराम हो गई है।