एमजीएम विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह इस दिन, पढ़ें पूरी खबर

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    औरंगाबाद : मराठवाड़ा (Marathwada) के प्रथम निजी स्वयं अर्थयहाय महात्मा गांधी मिशन विश्वविद्यालय (Mahatma Gandhi Mission University) का प्रथम दीक्षांत समारोह (Convocation) 27 नवंबर को आयोजित किया गया है। प्रथम दीक्षांत समारोह में समाजसेवक, साहित्यिक और विचारवंत अण्णाभाउ साठ को एमजीएम विश्वविद्यालय की ओर से मरणोत्तर मानद वाड: मय पंडित (डी लीट) डिग्री प्रदान की जाएगी। डी लीट डिग्री अण्णाभाउ साठे की बहु सावित्रीबाई मधुकर साठे को प्रदान की जाएगी। समारोह में प्रमुख अतिथि राजीव गांधी विज्ञान और तकनीकी आयोग के अध्यक्ष पदमविभूषण डॉ. अनिल काकोडकर उपस्थित रहेंगे। यह जानकारी एमजीएम विश्वविद्यालय के कुलपति अंकुशराव कदम, कुलगुरु डॉ. विलास सपकाल, कुलसचिव डॉ. आशिष गाडेकर, परीक्षा नियंत्रक कर्नल प्रदीप कुमार ने आयोजित प्रेस वार्ता में दी। 

    उन्होंने बताया कि सन 2019 में मराठवाड़ा में प्रथम निजी स्वयं अर्थसहाय वाला विश्वविद्यालय कार्यान्वित किया गया था। इस विश्वविद्यालय को अनुदान आयोग ने 2 (एफ) दर्जा दिया है। यहां बेसिक एंड अप्लाईड सायन्स, इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलॉजी, मैनेजमेंट एंड कॉमर्स, परफार्मिंग, आर्टस, सोशल सायन्सेस एंड ह्यूमैनिटीज, एज्यूकेशन इस आर्टस शाखा और अंतर्गत इंजीनियरिंग, व्यवस्थापन, जैव तकनीकी, कम्प्यूटर शास्त्र, सूचना तकनीकी ज्ञान, होटल मैनजमेंट, फॅशन फाइन आर्ट, नृत्य, कला, पत्रकारिता फिल्म, फोटोग्राफी आदि ऐसे करीब 300 कोर्सेस चलाएं जा रहे है। 

    गत तीन साल में डिग्री पाए छात्रों को नवाजा जाएगा 

    एमजीएम विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षांत समारोह में सन 2019 से 2022 इस शैक्षणिक वर्ष में सफल हुए छात्रों को डिग्री प्रदान की जाएगी। जिसमें स्नातक 109, स्नातकोत्तर 291, डिग्री धारक 131, प्रमाणपत्र धारक 3 छात्र शामिल रहेंगे। जिसमें 136 बेसिक एंड एप्लाईड सायन्स, 60 इंजीनियरिंग एंड टेक्नॉलॉजी, 230 मैनेजमेंट एंड कॉमर्स, 15 परफार्मिंग आर्टस और 93 सोशल सायन्सेस एंड हयुमानिटिज विद्या शाखा के छात्र शामिल है। कुलपति अंकुशराव कदम ने बताया कि कई छात्रों को चान्सलर्स गोल्ड मेडल का भी वितरण किया जाएगा। दीक्षांत समारोह रविवार की सुबह 10:30 बजे शुरु होकर दोपहर 1 बजकर 50 मिनट पर खत्म होगा। इससे पूर्व एमजीएम विश्वविद्यालय के मुख्य प्रवेश द्वारा से दीक्षांत समारोह की रैली निकली जाएगी। अंत में कुलपति अंकुशराव कदम ने बताया कि अण्णाभाउ साठे की मराठी भाषा में विपुल साहित्य संपदा है। उन्होंने अपने कार्यकाल में 35 उपन्यासों को लिखा है।  इसमें प्रसिध्द फकीरा उपन्यास भी शामिल है। इस उपन्यास को राज्य सरकार की ओर  से 1961 में बेहतर उपन्यास इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अण्णाभाउ साठे हमारे लिए हमेशा आदर्श है। इसलिए एमजीएम विश्वविद्यालय ने प्रथम दीक्षांत समारोह में उन्हें मरणोत्तर डी लीट देने का निर्णय लिया है।