डॉ. कल्याण काले कांग्रेस के नए जिलाध्यक्ष

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– शहराध्यक्ष पद पर हिशाम उस्मानी की नियुक्ति

औरंगाबाद. कांग्रेस आलाकमान ने जिले व शहर की कार्यकारिणी बरखास्त कर नए जिलाध्यक्ष व शहराध्यक्ष का चयन किया है. जिलाध्यक्ष पद पर पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधायक डॉ. कल्याण काले तथा शहराध्यक्ष पद पर ऑल इंडिय़ा किसान कांग्रेस के नेशनल सेक्रटरी मोहम्मद हिशाम उस्मानी की नियुक्ति प्रदेशाध्यक्ष बालासाहब थोरात ने की है. दोनों पदों पर कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ताओं की नियुक्ति किए जाने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौडी है.

डॉ. कल्याण काले कांग्रेस पार्टी से  एक निष्ठ रहे. वे जिले के फुलंब्री निर्वाचन क्षेत्र के 10 साल तक विधायक भी रहे.यह बात अलग हैं कि उन्हें गत दो विधानसभा चुनाव में भाजपा के वरिष्ठ नेता हरिभाउ बागडे से हार का सामना करना पडा. विधानसभा चुनाव में हारने के बावजूद पार्टी के काम में डॉ. काले दिन रात जुटे हुए थे.उनके द्वारा कांग्रेस पार्टी को जिले में संजीवनी देने के लिए किए जा रहे कार्यों से प्रसन्न होकर प्रदेशाध्यक्ष बालासाहब थोरात  ने डॉ. कल्याण काले की जिलाध्यक्ष पद पर नियुक्ति की है. काले का जनसंपर्क काफी तगड़ा है. मास लीडर के रुप में डॉ. कल्याण काले की छवि पूरे जिले में है. डॉ. काले की जिलाध्यक्ष पद पर नियुक्ति से आगामी सभी चुनाव में कांग्रेस  पार्टी बेहतर प्रदर्शन करने की प्रतिक्रिया राजनीतिक जानकारों ने दी है.

स्वच्छ छविवाले पदाधिकारी को सौंपा शहराध्यक्ष पद

शहराध्यक्ष पद पर साफ सुथरी छविवाले पदाधिकारी मोहम्मद हिशाम उस्मानी की नियुक्ति की गई. हिशाम उस्मानी भी सालों से कांग्रेस से एक निष्ठावान बनकर काम कर रहे है. उनकी साफ सुथरी छवि तथा कार्यकर्ताओं से बेहतर संबंध के चलते पार्टी आलाकमान ने अल्पसंख्यक नेता को शहराध्यक्ष का पदभार सौंपा है. उस्मानी बीते कुछ सालों से ऑल इंडिय़ा किसान कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव के रुप में काम कर रहे है. इस वर्ष के एंड में मनपा चुनाव हो सकते है. मनपा चुनाव को सामने रखकर पार्टी आलाकमान ने अल्पसंख्यक पदाधिकारी को शहराध्यक्ष का पदभार सौंपा है. पार्टी ने जिलाध्यक्ष व शहराध्यक्ष इन दोनों पदों पर कार्यकर्ताओं को जोड़ कर रखनेवाले नेताओं का चयन करने से जिले व शहर में कांग्रेस पार्टी का ताकत बढ़ने के आसार है.

लोकसभा व विधानसभा चुनाव में हार से परेशान था आलाकमान

लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव में जिले में कांग्रेस की हालत काफी दयनीय हो चुकी थी. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार का डिपॉजिट जब्त हुआ था. वहीं, विधानसभा चुनाव में भी जिले के सभी निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस उम्मीदवारों को करारी हार का सामना करना पड़ा था. दोनों चुनावों में मिली हार के बाद मास लीडर नेताओं को जिलाध्यक्ष व शहराध्यक्ष पद देने की मांग की जा रही थी. उधर, पार्टी के तत्कालीन वरिष्ठ नेता अब्दुल सत्तार ने पार्टी छोडऩे के बाद जिला कांग्रेस में मुस्लिमों को अनदेखी करने की भावना कार्यकर्ताओं में तैयार हो रही थी, बल्कि मुस्लिम समाज में एमआईएम की बढ़ती लोकप्रियता को ब्रेक लगाने के लिए मुस्लिम कार्यकर्ता को शहराध्यक्ष बनाने की मांग जोर पकड़ रही थी. कार्यकर्ताओं की मांग पर प्रदेशाध्यक्ष बालासाहाब थोरात ने नामदेव पवार को शहराध्यक्ष पद से हटाकर हिशाम उस्मानी के रुप में नया चेहरा देते हुए सोशल इंजीनियरिंग को बनाया रखा.