Financial inclusion is a successful revolution: Devendra Fadnavis

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    औरंगाबाद. वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) हमारे देश में एक सटल क्रांति है। धीरे-धीरे एक ऐसी क्रांति वित्तीय  समावेशन के माध्यम से हो रही है,  जिससे हम अधिकारिता दे रहे है। जन धन योजना (Jan Dhan Yojana) के माध्यम से करीब 46 करोड़ खाते खोले गए। जिसका अर्थ देश की कुल जनसंख्या (Population) में से 50 प्रतिशत नागरिकों के खाते खुले। इससे यह साफ है कि हमारे देश में 50 प्रतिशत नागरिक ऐसे थे, जिन्होंने बैंक का चेहरा नहीं देखा था। यह लोग बीते कई सालों से वित्तीय में शामिल नहीं थे।

    आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) द्वारा शुरु की  जन धन योजना से देश के 50 प्रतिशत नागरिक बैंक में  व्यवहार कर सरकार की विविध योजनाओं का बिना भ्रष्टाचार (Corruption) के लाभ उठा रहे है। यह दावा राज्य के पूर्व मुख्यमंंत्री और राज्य विधानसभा के प्रतिपक्ष नेता देवेन्द्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने की है।

    देश के केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत कराड के प्रमुख उपस्थिति में शहर के पांच सीतारा होटल ताज में राष्ट्रीय कृत बैकों के आला अधिकारियों की मंथन बैठक संपन्न हुई। बैठक का समापन राज्य के प्रतिपक्ष नेता देवेन्द्र फडणवीस के प्रमुख उपस्थिति में  हुआ। बैठक के समापन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए  फडणवीस ने यह बात कही। मंच पर केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत कराड, डीएफएस के सहसचिव डॉ. बीके  सिन्हा, इंडियन बैंक एसोसिएशन के अध्यक्ष राजकिरण राय, एसबीआई के अध्यक्ष दिनेश खारा, पीएनबी के एमडी एसएस मल्लिकार्जून राव, बीओआई के सीईओ ए.के दास उपस्थित थे।

    देश से गरीबी हटाव का नारा

    अपने विचार में फडणवीस ने आगे कहा कि  देश में सालों से कई योजनाएं बनी। देश में बनी कई सरकारों ने कई योजनाएं लाई लेकिन, किसी भी योजना को कारगर रुप से अमलीजामा पहनाने में  सरकारें नाकाम रहीं। फडणवीस ने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी के उस बयान का जिक्र  करते हुए कहा कि सरकार द्वारा शुरु की गई योजना की 85 प्रतिशत राशि में  भ्रष्टाचार होकर 15 प्रतिशत रकम का फायदा आम आमदी को मिलता था। पूर्व पीएम स्व. इंदिरा गांधी ने देश से गरीबी हटाव का नारा दिया था। उसके बाद कई कामयाब सरकारे देश में आई और  चली गई। सरकारों ने गरीबी हटाने के लिए कई योजनाएं लाई, लेकिन उसमें हुए भ्रष्टाचार के चलते आम आदमी को उन योजनाओं का फायदा कम हीं मिल पाता था। उसका मुख्य कारण देश की डिलीवरी सिस्टिम में बिगाड़ था।

    मोदी ने किया डिलीवरी सिस्टम बदलने का काम 

    पूर्व सीएम फडणवीस ने कहा कि सालों से हमारे  पास डिलीवरी सिस्टम में बिगाड़ होने से आम आदमी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाता था। लेकिन, आज जनधन-आधार-मोबाईल लिकिंग यानी जैम ट्रीनिटी योजना लागू करने से विविध योजनाओं की रकम राज्य अथवा सीस्टम के पास न आते हुए सीधे दिल्ली से  हर नागरिक के खाते में  पहुंच रहीं है। यह जो इंटरफेस तैयार हुआ है, इससे  दिल्ली से एक रुपया निकला तो वह अंतिम घटक तक एक रुपया ही रह रहा है। बल्कि, किसी  भी  योजना में भ्रष्टाचार कर पैसा खाने का सारा खेल खत्म हुआ है। इससे यह साफ है कि पहली बार सिस्टीम में इम्प्रूवमेंट हुआ है।

    आधे से ज्यादा खाते बंद हुए थे

    देश के तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह के काल में भी कई खाते खोले गए थे। लेकिन, उन खातों का इस्तेमाल अधिक न होने से आधे से ज्यादा खाते बंद हुए थे। परंतु,  पीएम मोदी ने जन धन योजना के माध्यम से खाते खोलने के बाद उसे हमेशा संचालित करने के लिए डीबीटी के माध्यम से और जैम ट्रीनिटी के माध्यम से सीधे पेेमेंट ट्रान्सफर शुरु किया। उसके साथ रूपी कार्ड भी दिया। जो जनता को मुश्किल की घड़ी में आर्थिक फायदा पहुंचा रहा है। आज आम आदमी को साहुकार के पास जाने की जरुरत नहीं पड़ रही है।

    16 हजार करोड़ की सबसिडी राशि बची 

    फडणवीस ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा डिजीटल इंटरफेस को बढ़ावा देने से 16 हजार करोड़ की सबसिडी की  राशि प्रथम वर्ष में  बची। पहले  सबसिडी कागजों पर दिखाकर करोड़ों  रुपए की राशि लूटी जाती थी। लेकिन, आज डिजीटल इंटरफेस के चलते केंद्र सरकार 16 हजार करोड़ की राशि बचाने में कामयाब रही। पहले जरुरत मंदों को सबसिडी न मिलकर जिसकी सरकारी यंत्रणा में छाप थी, उसे सबसिडी का फायदा होता था। आज डिजीटल इंटरफेस के चलते  100 प्रतिशत जरुरत मंदों को फायदा होने का दावा विरोधी पक्ष नेता देवेन्द्र फडणवीस ने किया।

    50 प्रतिशत हिस्सा न देने की हट छोड़ दे राज्य सरकार 

    अंत में फडणवीस ने राज्य में निर्माण हो रही रेल परियोजनाओं के लिए राज्य सरकार ने अपने हिस्से की 50 प्रतिशत रकम खर्च करना बंद कर दिया है। इससे राज्य में कई रेल परियोजनाओं के कार्य पूरा करने में ब्रेक लग  रहा है। उन्होंने राज्य सरकार को सलाह देते हुए कहा कि  वह 50 प्रतिशत हिस्सा न देने की अपनी हट छोड़ दे। राज्य सरकार ने रेल परियोजनाओं को पूरा करने 50 प्रतिशत अपना हिस्सा तत्काल देना शुरु करने की मांग  फडणवीस ने की।