औरंगाबाद के नामांतरण के खिलाफ भरी बारिश में निकला मोर्चा

    Loading

    औरंगाबाद : राज्य की तत्कालीन ठाकरे सरकार द्वारा औरंगाबाद (Aurangabad) का नामांतरण संभाजीनगर (Sambhajinagar) करने के पारित किए गए प्रस्ताव के खिलाफ औरंगाबाद नामांतरण विरोधी संघर्ष समिति की ओर से भडकल गेट स्थित आंबेडकर की प्रतिमा से आमखास मैदान तक मूक मोर्चा (Silent Front) निकाला गया। मोर्चा के दौरान बारिश जारी थी। इसके बावजूद हजारों लोग मोर्चा में शामिल हुए। मोर्चा आमखास मैदान पहुंचने पर सांसद इम्तियाज जलील (MP Imtiaz Jalil) के अलावा नामांतरण विरोधी संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने जनता को संबोधित करते हुए साफ किया कि आप कुछ भी कर ले, औरंगाबाद का नाम औरंगाबाद ही रहेगा। मोर्चा में शामिल लोग तिरंगा झंडा लिए हुए थे। उधर, शिवसेना जिला प्रमुख अंबादास दानवे ने नामांतरण के खिलाफ निकाले गए मोर्चा की खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि एमआईएम द्वारा इस मोर्चा का आयोजन किया गया था। एमआईएम नेता क्रुर राजा औरंगजेब की कब्र पर जाकर माथा टेकते है। इसलिए उन्हें औरंगाबाद का नामांतरण नहीं चाहिए। 

    30 जून को जाते जाते राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने औरंगाबाद का नामांतरण संभाजीनगर करने के खिलाफ हाल ही में औरंगाबाद नामांतरण विरोधी संघर्ष समिति का गठन किया गया था। समिति की ओर से नामांतरण के खिलाफ मूक मोर्चा का आयोजन किया गया था। तय समय पर लोग आंबेडकर प्रतिमा के पास जमने लगे। उसी समय बारिश भी जारी थी। मोर्चा का नेतृत्व समिति के अयुब जहांगिरदार, गौतम खरात, गंगाधर ढगे, कृणाल खरात, महेन्द्र सोनवने, शाहरेक नक् शबंदी, कांग्रेस नेता मोहसीन अहमद, मुस्लिम रिजर्वेशन फ्रंट के शकूर सालार, जनता दल के अजमल खान, विकास एडके, नासेर सिददीकी, राष्ट्रीय जनता दल के विजय खंदारे, दलित पैंथर के संजय जगताप, गब्बर एक शन कमेटी के हाफिज अली, किशोर गडकर, विशाल नावकर, किशोर थोरात के अलावा सांसद इम्तियाज जलील ने किया। मोर्चा को लेकर मोर्चा के रुट पर कड़ा पुलिस बंदोबस्त तैनात किया गया था। मोर्चा शांति पूर्ण तरीके से भडकल गेट से निकलकर आमखास मैदान पर पहुंचा मोर्चा में शामिल लोग मी औरंगाबाद कर, आय लव औरंगाबाद बोर्ड के अलावा तिरंगा ध्वज लिए हुए थे 

    किसी भी हालत में नहीं बदलेगा औरंगाबाद का नाम: सांसद जलील 

    मूक मोर्चा आमखास मैदान पर पहुंचने के बाद अपने संबोधन में सांसद इम्तियाज जलील ने कहा कि औरंगाबाद का सालों वर्ष पूराना इतिहास है। इस इतिहास को इतनी आसानी से नहीं बदला जा सकता। अपनी सत्ता जाते-जाते तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी की साख जनता में बचाने के लिए औरंगाबाद का नामांतरण किया। शहर की जनता की इच्छा न होने के बावजूद सिर्फ साम्प्रदायिक राजनीति के लिए औरंगाबाद का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया गया। परंतु, कुछ भी हो जाए हम शहर का नाम नहीं बदलने देंगे। उसके लिए हमें सड़क पर उतरने के साथ ही न्यायालयीन लड़ाई भी लड़ेगे। यह चेतावनी सांसद जलील ने दी। अपने भाषण में जलील ने नामांतरण का प्रस्ताव पारित करते समय अपने आपको सेक्युलर कहने वाले कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण, बालासाहाब थोरात सहित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मंत्रियों द्वारा विरोध न करने को लेकर उन पर निशाना साधा। इम्तियाज जलील ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार भी खूब अलापा राग। उन्होंने कहा कि औरंगाबाद शहर को पूराना इतिहास है। आज भी यहां के नागरिक शहर के विकास के लिए तरस रहे है। वह अच्छा या बुरा हो सकता। उसे मिटाने का प्रयास कोई ना करें। पहले औरंगाबाद को एक नया अंतर्राष्ट्रीय दर्ज का शहर बनाया जाए। फिर हम खुद छत्रपति संभाजी महाराज का नाम देने का प्रस्ताव लेकर सरकार के पास जाएंगे। यह बात भी सांसद जलील ने कहीं। 

    एमआईएम सिर्फ मुस्लिम समुदाय का संगठन 

    उधर, मूक मोर्चा के समापन पर सांसद जलील द्वारा औरंगाबाद का नामांतरण न करने को लेकर दी गई चेतावनी पर शिवसेना जिला प्रमुख और विधायक अंबादास दानवे ने कहा कि एमआईएम सिर्फ मुस्लिम समुदाय का संगठन है। इस पार्टी का काम सिर्फ हिंदु समुदाय में द्वेष निर्माण करना। जिस औरंगजेब ने इस देश पर हमला किया था। इस देश में कई हिंदु समुदाय के धार्मिक स्थलों को तोडा था। इस देश में महिलाओं पर अत्याचार किए। छत्रपति संभाजी महाराज की हत्या की। ऐसे क्रूर राजा के नाम से औरंगाबाद का नाम है। उसका नामांतरण के विरोध में एमआईएम ने आज मोर्चा निकाला है। यह मोर्चा निकालकर एमआईएम ने साफ कर दिया है कि उनकी विचारधारा साम्प्रदायिक है। शिवसेना ही औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने चाहती थी। शिवसेना के तत्कालीन सीएम ठाकरे ने औरंगाबाद का नामांतरण किया है।