MP Imtiaz Jalil

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छत्रपति संभाजीनगर : सरकार द्वारा औरंगाबाद (Aurangabad) का नामांतर छत्रपति संभाजीनगर करने के लिए निर्णय के बाद शहर में जारी आरोप-प्रत्यारोप के सिलसिले के चलते कानून और सुव्यवस्था चरमराने की आशंका शहर के नामचीन उद्यमियों (Entrepreneurs) ने औरंगाबाद फर्स्ट (Aurangabad First) के बैनर तले सीएम एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) को पत्र लिखकर जतायी।  पत्र में नामांतर पर सभी विचारधारा के प्रमुखों से बातचीत कर इस मामले का हल निकालने की विनंती की। इस पर औरंगाबाद के सांसद इम्तियाज जलील (MP Imtiaz Jalil) ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नामांतर के विषय पर उद्यमियों ने व्यर्थ जवाब न देते हुए कहा कि वे नामांतर के फेवर में है, या विरोध में यह भूमिका साफ करें। 

उन्होंने औरंगाबाद फर्स्ट द्वारा सीएम को लिखे पत्र पर आश्वासन दिया कि शहर में कुछ भी नहीं होगा। शहर में शांति रहे, यह सभी की अपेक्षा है। हम आंदोलन कर रहे है, इसका मतलब यह नहीं कि शहर के हालत बिगड़ेंगे। संविधान ने जो हमें हक दिया है, उसके अनुसार हम आंदोलन कर रहे है। लेकिन, शहर के व्यापारी और उद्यमियों ने नामांतर पर एक स्पष्ट भूमिका लेकर यह साफ करें कि वे नामांतर का समर्थन करते है, या फिर उसका विरोध करते है। जलील ने कहा कि उद्यमि और व्यापारी सच बोलने से कतरा रहे है। 

नामांतर यानी गंदी राजनीति 

जलील ने कहा कि विकास और गंदी राजनीति साथ नहीं हो सकती। नामांतर करने का जो निर्णय सरकार ने लिया है, उससे शहर का कोई विकास नहीं होगा।  बल्कि, गंदी राजनीति करने के लिए ऐतिहासिक औरंगाबाद शहर का नाम बदला गया है। ऐसे में उद्यमि ही सच बताए कि क्या नामांतर विकास का एक हिस्सा है। बता दें कि हाल ही में शहर के मशहुर उद्यमियों  द्वारा स्थापित अ सिटीजन फोरम औरंगाबाद फर्स्ट के बैनर तले राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को एक पत्र लिखकर बताया कि केंद्र सरकार ने औरंगाबाद का नामांतर छत्रपति संभाजीनगर करने को लेकर दिखाई हरी झंडी के बाद शहर में नामांतर को लेकर  विरोधी भासी और विवादित बयानों का सिलसिला जारी है। जिससे शहर के आम आदमी में बेचैनी होने की आशंका जतायी। ऐसे में शहर में सामाजिक अशांतता निर्माण होना किसी को अफोर्ड नहीं होगा। शहर में हालत खराब होने पर उसका असर व्यापार, उद्योग, पर्यटन और वैकल्पिक रुप से आम आदमी के प्रतिदिन के रोजी रोटी पर होता है। ऐसे में नामांतर के विषय को लेकर सभी विचार धारा के प्रमुखों से चर्चा कर यह विषय हल करने की मांग की।