Aastik Pandey

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    औरंगाबाद: शहर के सलीम अली झील (Salim Ali Lake) के प्रदूषण (Pollution) के लिए जिम्मेदार ठहराकर औरंगाबाद महानगरपालिका कमिश्नर आस्तिक कुमार पांडेय (Astik Kumar Pandey ) के खिलाफ फौजदारी कार्रवाई करने की विनंती करनेवाली फौजदारी शिकायत में प्रोसेस इश्यु करने के प्रथम वर्ग न्यायदंडाधिकारी न्यायालय का आदेश अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शैलेश देशपांडे ने रद्द कर दिया है। पर्यावरण कार्यकर्ता एड. अत्तदीप कचरु आगले ने स्वयं (व्यक्तिगत रूप से पार्टी) मुख्य मजिस्ट्रेट की अदालत में एक आपराधिक शिकायत दर्ज की थी। 

    उन्होंने शिकायत की थी कि महानगरपालिका कमिश्नर द्वारा सलीम अली झील में ड्रेनेज का पानी छोड़े जाने से झील का पानी प्रदूषित हो गया है। पानी हरा हो गया है और इसमें तेज बदबू आ रही है। झील में हजारों मछलियां मरी हुई हैं और पानी पर तैर रही हैं। झील की जैव विविधता खतरे में है। इस संबंध में कई सामाजिक संगठनों ने महानगरपालिका कमिश्नर और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ज्ञापन दिए हैं। आगले ने सबूत के तौर पर विभिन्न अखबारों की खबरों को जोड़ा था। उनकी शिकायत को मुख्य दंडाधिकारी की अदालत ने खारिज कर दिया था।  

    इसके बाद उन्होंने आपराधिक शिकायत में कुछ बदलाव किए और इसे प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की अदालत में फिर से दायर किया, जिसमें प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट ने महानगरपालिका कमिश्नर के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई के संबंध में एक प्रक्रिया जारी करने का आदेश दिया और कमिश्नर पांडेय को अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया। कमिश्नर पांडेय ने इसके खिलाफ एड. राजेन्द्र मुगदिया द्वारा अतिरिक्त सत्र न्यायालय में पुर्ननिरीक्षण याचिका दायर की थी। इसमें एड. मुगदिया ने इश्यु किया हुआ प्रोसेस रद्द करने की विनंती न्यायालय से की थी। 

    एड. मुगदिया ने अदालत को बताया कि महानगरपालिका ने कांचनवाडी में सलीम अली झील और पूरे शहर से सीवेज की निकासी के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की है और पडेगांव और अन्य जगहों पर प्रमुख परियोजनाएं लागू की गई हैं। इसे संसाधित किया जा रहा है। इसके अलावा, स्मार्ट सिटी योजना के तहत शहर में विभिन्न स्वच्छता और सौंदर्य योजनाएं लागू की गई हैं। खाम नदी की सफाई और सौंदर्यीकरण के लागू होने से शहर की खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे। एड.मुगदिया ने अदालत को बताया कि एड. अत्तदीप कचरु आगले की आपराधिक शिकायत में कई खामियां हैं। किसी भी तरह से, उन्होंने गवाहों की एक सूची प्रदान नहीं की। उन्होंने याचिका में बताया था कि मनपा प्रशासन को कई ज्ञापन दिए गए, परंतु उसके कोई सबूत शिकायतकर्ता न दिए जाने को लेकर एड. मुगदिया ने आक्षेप लिया। अखबारों में छपी खबरों की कटिंग यह सबूत नहीं हो सकते। सारी स्थिति को जानने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शैलेश देशपांडे ने कमिश्नर पांडेय की पुनर्विचार याचिका मंजूर करते हुए प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा जारी प्रक्रिया को रद्द करने का आदेश दिया।