औरंगाबाद : सांसद इम्तियाज जलील (MP Imtiaz Jaleel) द्वारा मुंबई हाईकोर्ट (Bombay High Court) की औरंगाबाद पीठ (Aurangabad Bench) में दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान माननीय न्यायालय ने सरकारी मेडिकल कॉलेज (Medical College) और घाटी अस्पताल (Hospital) के प्रशासन पर कई सवालिया निशान खड़े किये और क्या घाटी अस्पताल सिर्फ पोस्टमार्टम के लिए बचा है? यह सवाल कर सरकारी घाटी अस्पताल में मानवी जीवन से खिलवाड़ जारी होने पर खेद व्यक्त किया। हाईकोर्ट में सांसद जलील ने घाटी अस्पताल की प्रशासन के कमजोरियों को याचिका में उजागर किया। इस पर हाईकोर्ट सख्त हुआ और 7 अक्टूबर 2022 से पूर्व स्वास्थ्य अस्पताल में रिक्त पदे, औषधियों की अनियमित आपूर्ति के अलावा डॉ. भिवापुरकर मामले में विभागीय जांच की प्रगति रिपोर्ट संबंध में शपथपत्र दाखिल करने के आदेश न्यायमूर्ति रविन्द्र घुगे और न्यायमूर्ति अरुण पेडनकर के खंडपीठ ने दिए।
सुनवाई के दौरान लोक अभियोजक कार्लेकर ने माननीय न्यायालय को बताया कि घाटी अस्पताल में सभी चिकित्सा उपकरण और सामग्री उपलब्ध है। तदनुसार सांसद इम्तियाज ने अपना पक्ष रखते हुए अनुरोध किया कि घाटी अस्पताल में चिकित्सा उपकरणों और सामग्रियों का सर्वेक्षण और निरीक्षण करने के लिए एक तकनीकी समिति का गठन किया जाए।
घाटी में गरीब मरीजों के इलाज के लिए दवाओं की अनियमित, अनिश्चित और देरी से आपूर्ति के कारण लगातार किल्लत बनी हुई है। दूसरी ओर, सांसद इम्तियाज जलील ने माननीय न्यायालय के संज्ञान में लाया कि घाटी अस्पताल के पास हर दो दिन में फुटपाथ पर एक नए मेडिकल स्टोर की अनुमति दी जा रही है।
रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया शीघ्र लागू
माननीय उच्च न्यायालय में समय-समय पर हुई सुनवाई में यह बताया गया कि घाटी अस्पताल में पूर्णकालिक कार्डियोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, न्यूरोफिजिशियन, यूरोलॉजिस्ट, नेफ्रोलॉजिस्ट उपलब्ध नहीं हैं, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के उपकरण नहीं हैं। एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी नहीं हो रही है, इसलिए आम मरीजों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों में जाना पड़ रहा है। यह भी अनुरोध किया गया कि कक्षा 3 और 4 के मेडिकल स्टाफ के रिक्त पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया को जल्दी से लागू किया जाए। इसके अलावा सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कार्डियो वैस्कुलर थोरैसिक सर्जन डॉ. आशीष भिवपुरकर के मामले में माननीय उच्च न्यायालय ने विभागीय जांच के आदेश दिए थे। डॉ. आशीष भिवपुरकर अपने निजी मामले में उच्च न्यायालय द्वारा जारी नोटिस के अनुसार उच्च न्यायालय में पेश हुए।