छत्रपति संभाजीनगर नामांकन मामले में संजय केणेकर ने UBT पर लगाए बड़े आरोप, पढ़ें पूरी खबर

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छत्रपति संभाजीनगर : गत वर्ष महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद सत्ता में आई शिंदे-फडणवीस सरकार (Shinde-Fadnavis Government) ने शहरवासियों की गत कई सालों की मांग पूरी करते हुए औरंगाबाद का नामांतर छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नामांतर धाराशिव किया। राज्य सरकार के निर्णय को केंद्र सरकार (Central Government) ने भी हरी झंडी दिखाई। सरकार द्वारा नामांतर को लेकर मंगाए गए आक्षेप और सूचना पर शिंदे गुट और बीजेपी के स्थानीय नेताओं ने कड़ी मेहनत कर समर्थन में लाखों आवेदन दाखिल किए है। समर्थन में आवेदन दाखिल करते समय उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की शिवसेना पूरी तरह इससे अनभिज्ञ रहकर उनके द्वारा नामांतर के समर्थन में एक भी आवेदन नहीं भरा गया। यह आरोप बीजेपी के प्रदेश महासचिव संजय केणेकर (Sanjay Kanekar) ने लगाते हुए उन्होंने उद्धव ठाकरे की शिवसेना के स्थानीय नेताओं पर निशाना साधा। 

केणेकर ने कहा कि नामांतर करने बाद प्रशासकीय स्तर पर सरकारी यंत्रणा ने हरकते और सूचना मंगाए थी। उसके लिए 27 मार्च तारीख अंतिम थी। नामांतर के समर्थन में उद्धव ठाकरे गुट के स्थानीय नेता हमेशा हम कट्टर हिंदुत्व पर काम करने का ढिंढोरा पीटते है। परंतु, उनका यह ढोंगी पण तब खुलकर सामने आया, जब शहर के नामांतर के समर्थन में प्रशासन के समक्ष सकल हिंदू समाज के बैनर तले लाखों आवेदन विभागीय आयुक्त कार्यालय में दाखिल किए गए। शहरवासियों से आवेदन भरकर लेने में बीजेपी और शिंदे गुट के नेताओं ने कड़ी मेहनत की। परंतु, नामांतर के समर्थन में हमेशा आवाज उठाने वाले उद्धव ठाकरे की शिवसेना नेता समर्थन में आवेदन भरने से नदारद रहे। 

केणेकर ने किया एक लाख रुपए का इनाम घोषित 

केणेकर ने ठाकरे गुट के नेता नामांतर के समर्थन में भरे जाने वाले आवदेन से नदारद रहने पर आश्चर्य जताते हुए घोषणा की कि कोई भी उद्धव ठाकरे की शिवसेना के नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता नामांतर के समर्थन में आवेदन भरते हुए दिखायेंगा उसे एक लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा। बीजेपी के प्रदेश महासचिव ने कहा कि उद्धव ठाकरे गुट के नेता हमेशा हम हिंदुत्व वादी होने का ढोंग करते है। परंतु जब नामांतर के मामले में प्रशासन के समक्ष समर्थन करने के लिए आवेदन भरने का समय आया तब ठाकरे गुट के शिवसेना नेता शांत रहे। ठाकरे गुट के एक भी नेता ने जनता में पहुंचकर नामांतर के समर्थन में फार्म भरकर नहीं लिए। उन्होंने सावरकर का अपमान करने वालों के साथ बैठने वाले ठाकरे गुट के नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने नामांतर के समर्थन में एक भी आवेदन न भरकर नामांतर के निर्णय का छुपा विरोध किया है।