sanjay sirsath

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    औरंगाबाद : ढाई वर्ष पूर्व महाराष्ट्र (Maharashtra) की जनता ने बीजेपी-शिवसेना (BJP-Shiv Sena) युति को सत्ता दी थी। लेकिन, शिवसेना ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) के साथ सरकार का गठन करने से शिवसेना के इतनी बड़ी संख्या में विधायकों (MLAs) ने बगावत की। उद्धव ठाकरे के करीबी चांडाल-चौकड़ी बाल ठाकरे के विचारों को ख़तम करने निकले थे। यहीं लोग बाल ठाकरे के विचार जनता तक पहुंचाने के बजाए अपने विचार जनता पर थोपना चाह रहे थे। जिसके चलते शिवसेना विधायक बगावत पर उतर आए। यह आरोप शिवसेना से बगावत कर एकनाथ शिंदे गुट में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे औरंगाबाद पश्चिम के विधायक संजय सिरसाठ ने यहां लगाया। 

    शिवसेना में सत्ता परिवर्तन को लेकर गत तीन सप्ताह से जारी उठापठक के बीच संजय सिरसाठ का औरंगाबाद आगमन हुआ। तब उन्होंने आयोजित प्रेस वार्ता में उनके द्वारा बगावत करने पर विस्तार से प्रकाश डाला। सिरसाठ के अनुसार महाराष्ट्र की जनता खुद परिवर्तन चाहती थी। परंतु, कुछ लोग इसे समझ ही नहीं पा रहे थे। कुछ लोगों को लग रहा था, ऐसा नहीं होना चाहिए था। इसी दरमियान हमें करोड़ो रुपए मिलने के आरोप लगने लगे। पर यह सारे आरोप बेबुनियाद होने का दावा सिरसाठ ने किया। 

    संजय राउत के बयान से सभी विधायक हुए आहत 

    सिरसाठ ने बताया कि हम पिछले कई महीने से पार्टी प्रमुख और तत्कालीन पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को उनके निकट की चांडाल-चौकड़ी से पार्टी को रहे नुकसान से अवगत करा रहे थे। परंतु, संजय राउत द्वारा विधायकों की गई प्रताड़ना और उनके बयानों से हम आहत हुए। सिरसाठ ने बागी विधायकों को संजय राउत द्वारा वैश्या शब्द इस्तेमाल करने पर भी कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि बागियों में 4 महिला विधायक भी थी। उनका का यह बयान सभी विधायकों को काफी दु:ख देने वाला रहा। हमें सत्ता जाने का दु:ख नहीं था। परंतु, राउत के बयान से हम काफी आहत हुए। 

    हम आज भी शिवसेना के विधायक 

    संजय सिरसाठ ने दावा करते हुए कहा कि हम आज भी शिवसेना के विधायक है और महाराष्ट्र पर सत्तासीन एकनाथ शिंदे भी शिवसेना के ही सीएम है।  सिरसाठ ने कहा कि बगावत करने के बाद भी हम कभी भी पार्टी प्रमुख और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे पर टिका-टिप्पणी नहीं करेंगे। आज भी ठाकरे परिवार को लेकर हमारे मन में उतनी ही इज्जत है, जो पहली थी, आज है और कल भी रहेगी। सिरसाठ ने कहा कि एक काल ऐसा था कि किसी ने शिवसेना से बगावत की तो वह मुंह छिपाते फिरता था। आज समय बदला है। आज मेरा एयरपोर्ट से कांचनवाडी तक जोरदार स्वागत किया गया। इससे यह साफ है कि जनता हमारी बगावत से नाखुश नहीं है। क्योंकि, बागियों को यह समझ में आया है कि हमने शिवसेना-बीजेपी युति के साथ ही रहना चाहिए। सिरसाठ ने कहा कि पार्टी के 39 और निर्दलीय 11 विधायक बगावत पर क्यों उतर आए, यह बात उद्धव ठाकरे क्यों नहीं समझे पाए? बगावत में वरिष्ठ नेता, मंत्री शामिल है। 

    चांडाल-चौकड़ी को दूर करने पर फिर उभरेगी शिवसेना 

    उन्होंने शिवसेना नेता और चांडाल-चौकड़ी द्वारा हमारे बगावत को हल्के पर लेने पर भी कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि आज भी संजय राउत और आस-पास के चांडाल-चौकड़ी के लिए मातोश्री के दरवाजे एक सप्ताह के लिए बंद किए गए तो दुबारा उसी जोश से शिवसेना उभरेगी। उनके दरवाजे सिर्फ एक सप्ताह के लिए बंद किए गए तो यह तडप-तडप कर मरेंगे। उन्होंने स्थानीय जिला प्रमुख और विधायक अंबादास दानवे का नाम लिए बिना कहा कि अब उनकी दुकानदार खुब चलेंगी। 

    तत्कालीन पालकमंत्री देसाई पर साधा निशाना 

    उन्होंने जिले के तत्कालीन पालकमंत्री सुभाष देसाई की मनमानी पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि गत ढाई साल में देसाई ने औरंगाबाद के विधायक के नाते हमे एक फोन नहीं किया। पालकमंत्री रहते उन्होंने एक बार मेरे घर के निकट कार्यक्रम लिया था, उसकी जानकारी भी मुझे नहीं थी, ऐसा पालकमंत्री क्या जिले का विकास करेंगे? यह सवाल सिरसाठ ने कहा कि इसी पालकमंत्री ने मुझे एक करोड़ का निधि दिया और गंगापुर के बीजेपी विधायक को डीपीडीसी से 11 करोड़ का निधि उपलब्ध कराया। यह चमत्कार कैसा इस पर भी सिरसाठ ने सवाल उठाते हुए अपनी बगावत को जायजा ठहराया। 

    शिंदे द्वारा उपलब्ध कराए गए निधि से हुआ सातारा देवलाई का विकास

    एक सवाल के जवाब में विधायक सिरसाठ ने कहा कि राज्य की तत्कालीन ठाकरे सरकार में एकनाथ शिंदे के पास नगर विकास मंत्रालय का पदभार था। उन्होंने हमें उसके माध्यम से बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराया। आज मेरे क्षेत्र में 700 करोड़ के कार्य जारी है। एकनाथ शिंदे द्वारा निधि उपलब्ध कराने से ही शहर के सातारा-देवलाई क्षेत्र का बड़े पैमाने पर विकास होने का दावा सिरसाठ ने किया।