ओबीसी समाज को धोखा देना बंद करे ठाकरे सरकार

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    औरंगाबाद: राज्य में ओबीसी समाज का राजनीति का आरक्षण (Reservation) सिर्फ ठाकरे सरकार (Thackeray Government) के चलते गमाया है। यह आरक्षण फिर से मजबूती से प्राप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश पर एंपिरिकल डेटा (Empirical Data) जमा करने का उपाय ठाकरे सरकार कर नहीं पा रही है। ठाकरे सरकार  ओबीसी समाज के  साथ धोखाधड़ी रोके और राज्य पिछड़ा आयोग को ओबीसी का एंपिरिकल डेटा  जमा करने के लिए जरुरी 450 करोड़ रुपए की मदद करें। यह मांग भाजपा के विधायक और पार्टी के प्रदेश महासचिव अतुल सावे और शहराध्यक्ष संजय केणेकर ने आयोजित प्रेस वार्ता में की।

    अतुल सावे ने गत दो सालों से ठाकरे सरकार ने ओबीसी समाज को फंसाने का काम किस तरह किया, इस पर विस्तार से प्रकाश डाला। विधायक अतुल सावे ने कहा कि ठाकरे सरकार ने अध्यादेश निकालकर ओबीसी का आरक्षण लागू करने का प्रयास किया है, लेकिन अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के शर्तों को पूरा करनेवाला नहीं है। 

    फरवरी में होने हैं चुनाव

    अतुल सावे और केणेकर ने कहा कि राज्य चुनाव आयोग ने हाल ही में 86 नगर पालिकाओं में अध्यादेश के आधार पर ओबीसी के आरक्षण का ड्रा घोषित किया। उस ड्रा में साफ कहा कि उक्त अध्यादेश को मुंबई उच्च न्यायालय के औरंगाबाद खंडपीठ में अपील की गई है। इसमें आयोग की ओर से की जानेवाली सभी कार्रवाई उच्च न्यायालय के निर्णय के अधिन रहकर रहेगी। यानी ओबीसी समाज पर लटकती तलवार हमेशा के लिए है। फरवरी में राज्य के 85 प्रतिशत स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव होंगे। ठाकरे सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ओबीसी के लिए स्थायी  आरक्षण नहीं दिया तो यह समाज राजनीतिक आरक्षण से मरहूम रहेगा। 

    एंपिरिकल डेटा जमा करना चाहिए

    विधायक सावे ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 दिसंबर 2019 को कहा था कि राज्य पिछड़ा आयोग स्थापित कर एंपिरिकल डेटा जमा करें। ठाकरे सरकार ने समय पर ही इस आदेश पर काम शुरु किया होता तो स्थानीय स्वराज्य संस्था में  ओबीसी समाज का राजनीतिक आरक्षण बच जाता, परंतु ठाकरे सरकार ने 15 माह में कोर्ट इस मामले में हुई, 7 सुनवाई में सिर्फ समय बरबाद किया। जिसके बाद मार्च 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने यह आरक्षण रद्द किया। सिर्फ महाराष्ट्र राज्य में ही ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण रद्द हुआ है। अंत में सावे ने कहा कि ओबीसी को मजबूत रूप से राजनीतिक आरक्षण फिर से प्राप्त कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा उसके अनुसार राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा एंपिरिकल डेटा जमा करना चाहिए। लेकिन, ठाकरे सरकार एंपिरिकल डेटा जमा करने के लिए निधि नहीं दे पा रहा है। आरक्षण रद्द होने के बाद तत्काल मार्च माह में यह काम हाथ में लिया होता तो अब तक काम पूरा होता, परंतु, ठाकरे सरकार इसको लेकर उदासीन होने का आरोप विधायक सावे और शहराध्यक्ष केणेकर ने लगाया। प्रेस वार्ता में बसवराज मंगरुले, पूर्व मेयर बापू घडामोडे आदि उपस्थित थे।