विकास कार्यों के आंदोलन का केंद्र बनेगा वंदे मातरम हॉल

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    औरंगाबाद : मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम (Marathwada Liberation War) में योगदान देने वालों का कार्य हम सभी के लिए प्रेरणादायी है। उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल (Minister Chandrakant Patil) ने राय व्यक्त की कि इस कार्य की जानकारी वंदे मातरम हॉल (Vande Mataram Hall) के माध्यम से फैलेगी और वंदे मातरम हॉल विकास कार्यों में कार्यरत आंदोलन का केंद्र बने। शहर के किलेअर्क में परिसर में निर्माण किए गए वंदे मातरम सभागार का उद्घाटन राज्य के उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल के हाथों किया गया। उसके बाद अपने विचार में उन्होंने यह बात कहीं। इस मौके पर सहकारिता मंत्री अतुल सावे, नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे, पूर्व विधान सभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागड़े, विधायक प्रदीप जायसवाल, विधायक उदयसिंह राजपूत उपस्थित थे।

    उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा, मराठवाड़ा की मुक्ति के संघर्ष में कई लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। राजकीय ज्ञान और विज्ञान महाविद्यालय के युवाओं ने वंदे मातरम के नारे लगाकर आंदोलन शुरू किया। उसी स्थान पर बना वंदे मातरम हॉल हमेशा प्रेरणास्रोत रहेगा। वंदे मातरम हॉल को अच्छे ढंग से चलाने के साथ-साथ यहां सामाजिक, शैक्षिक और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएं और आज यहां राष्ट्रीय और शैक्षिक नीति पर होने वाली कार्यशाला भी महत्वपूर्ण होगी। जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया। ऐसे शहीदों के काम को नई पीढ़ी को जानना चाहिए। इसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल करने पर विचार किया जाएगा। योग, विपश्यना और भारतीय संस्कृति का अध्ययन करने के लिए दुनिया भर से छात्र भारत आते हैं। इस पर चर्चा करने के लिए 22 अमेरिकी यूनिवर्सिटी के चांसलर हाल ही में मुंबई आए हैं। योग और विपश्यना का महत्वपूर्ण स्थान बना रहेगा।

    भवन का उपयोग वंदे मातरम आंदोलन की तरह किया जाना चाहिए: अंबादास 

    सहकारिता मंत्री सावे ने कहा कि वंदे मातरम हॉल के माध्यम से नई पीढ़ी को स्वतंत्रता सेनानी के बारे में जानकारी मिलेगी। सभी सुविधाओं से भरपूर इस हॉल में विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। यह हॉल नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनेगा। नेता प्रतिपक्ष अंबादास ने कहा कि वंदे मातरम हॉल के इतिहास को भुलाया नहीं जा सकता। इस भवन का उपयोग वंदे मातरम आंदोलन की तरह किया जाना चाहिए। साथ ही, सरकार को मराठवाड़ा के समग्र विकास के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराना चाहिए। इस मौके पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरिभाऊ बागड़े, ए. प्रदीप जायसवाल ने भी अपने विचार पेश किए। 

    43 करोड़ रुपए खर्च कर बने इस ऑडिटोरियम से कई वर्षों का सपना पूरा हो गया

    प्रस्तावना में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव विकास चंद्र रस्तोगी ने कहा कि मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम की स्मृति को संजोने के लिए वंदे मातरम हॉल महत्वपूर्ण होगा। 43 करोड़ रुपए खर्च कर बने इस ऑडिटोरियम से कई वर्षों का सपना पूरा हो गया है। इस अवसर पर डॉ. बाबासाहाब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्वद्यिालय के कुलगुरु डॉ. प्रमोद येवले, पुलिस कमिश्नर डॉ. निखिल गुप्ता, कलेक्टर आस्तिक कुमार पांडेय, सिडको के मुख्य प्रशासक दीपा मुधोल-मुंढे, पुलिस अधीक्षक मनीष कलवानिया, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विकास मीणा, शिक्षा निदेशक डॉ. शैलेन्द्र देवलंकर, संयुक्त निदेशक सतीश देशपांडे, शासकीय विज्ञान महाविद्यालय के प्राचार्य राजेन्द्र सतपुते उपस्थित थे।