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    • पर्यावरण का हो रहा नुकसान

    साकोली: बढ़ते जा रहे शहरीकरण से पेड़ों की अवैध कटाई का प्रमाण बढ़ रहा है. पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने के लिए सन 1975 में वृक्ष संरक्षण और संवर्धन अधिनियम बनाया गया. इसके अनुसार शहर में वृक्ष प्राधिकरण का प्रावधान किया गया है. इस प्राधिकरण से अनुमति मिलने के बाद ही पेड़ की कटाई की जा सकती है. नप के वृक्ष प्राधिकरण समिति की अनुमति नहीं ली व पेड़ काटा तो एक पेड़ के पीछे 10 हजार रु. का दंड नप द्वारा वसूल किया जाएगा.

    हर एक शहर में वृक्ष प्राधिकरण समिति की स्थापना की गई है. नप के मुख्याधिकारी की अध्यक्षता में ही यह समिति गठित की गई है. जिसमें बांधकाम विभाग के अभियंता का समावेश है. नप के मुख्याधिकारी ने बताया कि शहर में किसी भी वृक्ष को काटने के पूर्व नप की अनुमति लेना जरूरी है. अनुमति लिए बिना पेड़ों की कटाई की तो दंड व मामला दर्ज किया जाएगा. जिससे शहरवासियों ने पेड़ों की कटाई न करें. नियमों का पालन अवश्य करें.

    प्राधिकरण की अनुमति आवश्यक

    इसमें यदि किसी स्थान पर निर्माण कार्य में या मार्ग पर कोई पेड़ खतरनाक साबित होने की संभावना है तो वह पेड़ काटने के लिए संबंधितों को नप की अनुमति लेना जरूरी है. नप की अनुमति लेने के बाद ही संबंधित पेड़ की कटाई की जा सकती है.

    दंड और अपराध दाखिल करने का प्रावधान

    पेड़ की कटाई करने के लिए पहले नप वृक्ष प्राधिकरण समिति की अनुमति लेनी पड़ती है. ऐसा नहीं करने पर पेड़ काटने पर 10 हजार रु. का दंड व डालियां काटने पर 5 हजार रु. दंड हो सकता है. इतना ही नहीं इस कानून अनुसार पुलिस में मामला दर्ज करने का प्रावधान है.

    पर्यावरण प्रेमियों की प्रतिक्रिया

    इस संबंध में पर्यावरण प्रेमी रवी भोंगाने ने बताया कि पक्षी, पर्यावरण व मानव के लिए पेड़ों का होना जरूरी है. जिससे नियमों को तोड़कर पेड़ों की कटाई करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाए. इसके लिए नप ने कानून का सख्ती से क्रियान्वयन करना चाहिए. इसके बाद ही शहर के पेड़ सुरक्षित रहेंगे.

    नियम होकर भी नहीं होता पालन

    इसी तरह पर्यावरण प्रेमी आशीष चेडगे का कहना है कि नप में वृक्ष प्राधिकरण समिति है. इसके बाद भी नियमों का पालन होते दिखाई नहीं दे रहा है. लेकिन पर्यावरण बचाना होगा तो पेड़ों का जिंदा रहना अत्यंत जरूरी है. इसके लिए पेड़ों को न काटे, नियमों का क्रियान्वयन करें.