भंडारा. प्रशासन की उदासीनता किस कदर परेशान करती है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 198 अनुकंपाधारियों को 13 वर्ष से नौकरी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. सरकार का आदेश होने पर भी उक्त अनुकंपाधारकों को नौकरी पर क्यों नहीं लिया गय़ा, यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है. अनुकंपा उम्मीदवारों की तत्काल भर्ती नहीं की गई तो 30 मार्च को मुख्य कार्यकारी अधिकारी के चैंबर के सामने आमरण अनशन करने की चेतावनी अनुकंपाधारकों ने दी है.
सरकार के 5 फरवरी, 2020 तथा 30 जुलाई 2020 के आदेश के अनुसार 45 दिनों के अंदर अनुंकपाधारकों की भर्ती संबंधी प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए थी. सरकार के इस निर्णय की ओर से जिला परिषद प्रशासन की ओर से ध्यान नहीं दिया गया. 18 जनवरी, 2019 को अनुकंपाधारकों ने नौकरी देने की मांग को लेकर अनशन किया था.
आंदोलन के वक्त यह आश्वासन दिया गया था कि एक माह के अंदर सभी अनुकंपाधारकों को नौकरी दे दी जाएगी. लेकिन वह आश्वासन सिर्फ आश्वासन बनकर ही रह गया और पिछले 13 वर्ष से संघर्ष कर रहे अनुकंपाधारकों को अब तक नौकरी नहीं मिली है. 198 अनुकंपाधारकों को जिला परिषद प्रशासन की अनदेखी के कारण अभी तक नौकरी से वंचित रहना पड़ा है.
सरकारी कर्मचारियों के नौकरी पर रहते वक्त मृत्यु होने पर उसके परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का प्रावधान है, लेकिन 13 वर्ष बीत जाने के बाद भी इन 198 अनुकंपाधारियों को नौकरी नहीं मिली है.