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    • सभी पशुओं का टीकाकरण किया जाए- जिलाधिकारी  

    भंडारा. एक पशु से दूसरे पशु में फैलने वाले लाल-खुरकत रोग पर नियंत्रण पाने के लिए जिले के स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारी शुरु कर दी है. लाल खुरपत रोग को तोंडखुरी, पायखुरी भी कहा जाता है. इस बीमारी से ग्रस्त पशु के मुंह, जीभ तथा खुर में जख्म हो जाती है.

    मुंह से लार गलने, लंगडने, बुखार आने, दम लगने,  चारा-पानी कम खाने, या चारा बंद होने जैसे लक्षणों के कारण पशु कमजोर हो जाते हैं. अगर समय पर ध्यान नहीं दिया गया तो   रोग से त्रस्त पशुओं की मौत हो जाती है.

    इस बात को ध्यान में ऱखकर जिले के सभी गो पालक पास के पशु चिकित्सा केंद्र से लाल-खुरकत रोग प्रतिबंधक टीकारण करने से पहले अपने पशुओं की टैंगिग करके टीकाकरण करवा लें, ऐसा आह्वान जिलाधिकारी संदीप कदम ने किया है. इसके लिए जिले में तीन लाख, 19 हजार, 900 टीके उपलब्ध हैं.  

    केंद्र सरकार की ओर से संचालित राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत खुरकत रोग प्रतिबंधक टीकाकरण का दूसरा चरण 8 नवंबर से 25 दिसंबर की कालावधि तक चलाया जाएगा.  जिलाधिकारी संदीप कदम की अध्यक्षता में हाल ही में समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी. इस बैठक में अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी पी. एम. चौधरी, जिला पशु संवर्धन उपायुक्त डॉ. वाई. एस. वंजारी, जिला पशु संवर्धन अधिकारी डॉ. नरेश कापगते, जिला सहकार उप निबंधक कार्यालय के मनीष देशकर, सहायक आयुक्त पशु संवर्धन डॉ. एन. एम. कोरडे मुख्य रूप से उपस्थित थे.

    2020 में की गई पशुगणना के अनुसार भंडारा जिले में 2 लाख, 13 हजार, 36 गाय वर्ग तथा 1 लाख, 6 हजार, 861 भैंस वर्ग को मिलाकर कुल 3 लाख, 19 हजार, 897 गोवंशीय पशु हैं. जिले में लाल खुरकत रोग नियंत्रण के लिए 3 लाख, 19 हजार, 900 टीके का भंडार है.  जिले में कुल 85 पशु चिकित्सा संस्थाओं को टिकट वितरित किया गया है और पशुओं के टीकाकरण का काम भी शुरु कर दिया गया है, ऐसी जानकारी जिला पशुसंवर्धन उपायुक्त डॉ. वाई. एस. वंजारी ने दी है.