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    तुमसर. रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने केंद्र सरकार की धुआं मुक्त भारत की योजना को भी विराम लगा दिया है. काफी परिवारों ने महंगाई के कारण गैस के चूल्हे के स्थान पर लकड़ी व कोयले का चूल्हा जलाना शुरू कर दिया है.

    मजबूरी में गरीब परिवारों की महिलाओं को धुएं वाले चूल्हे पर खाना बनाना पड़ रहा है. इस कारण फिर से गरीब महिलाएं टीबी जैसी बीमारी के करीब पहुंचेंगी. इसके लिए शहर एवं ग्रामीण परिसर की जनता ने सरकार द्वारा गैस पर बढ़ाई गई महंगाई को ही जिम्मेदार बताया है. 

    उज्ज्वला गैस योजना उड़ गया धुंआ 

    उज्ज्वला योजना धारक की महिलाओं ने बताया कि,  गैस के अधिक दाम बढ़ने के कारण फिर से लकड़ी आदि से जलने वाले चूल्हे अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है. दिन ब दिन गैस सिलेडर के दाम बढ़ने से ग्रामीणों ने लॉकडाउन के बाद से सिलेंडर भरवाया ही नहीं है. इतना ही नहीं ग्रामीण परिसर की महिलाएं जंगलों से चूल्हे में जलाने के लिए लकड़ियां भी लाने लगी है. रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला गैस योजना धुंआ उड़ा दिया है.

    गरीबो को घर चलाना हुआ मुश्किल

    घरों में फिर से लकड़ी के चूल्हे जलाएं जा रहे हैं. उज्ज्वला योजना केअंतर्गत गरीब परिवारों की महिलाओं को धूएं वाले चूल्हे से कुछ समय के लिए छुटकारा मिला था. लेकिन महंगाई ने गरीब परिवारों की महिलाओं का सपना तोड़ दिया है. योजना में शामिल महिलाओं का कहना है कि गैस सिलिंडर महंगा हुआ है. एवं सब्सिडी नहीं मिल रही है. इस कारण आर्थिक रुपसे कमजोर परिवार चूल्हे पर रोटियां बना रहे हैं. 

    वर्तमान में सिलेंडर की कीमत 1064 रु. हैं. यदि प्रत्येक माह सिलेंडर भरवाएं तो घर चलना मुश्किल हो जाएगा. गरीब, मजदूर परिवारों की महिलाओं ने उज्वला गैस सिलेंडर के दाम कम करने की मांग की गई है.