Central government's big gift to farmers, increased MSP on Rabi crops, know how much increased price of which crop

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    तुमसर. किसान खेती बड़ी तकलिफ एवं मेहनत से अपनी जान जोखीम में डाल कर फसल उगाता है. लेकिन किसान के मेहनत का मोल एवं फसल को उचित दाम नहीं दिया जाता है. केंद्र सरकार द्वारा आज तक  किसानो का मजाक उड़ाकर छलने का ही कार्य किया है. इसके अलावा वादाखिलाफी कर धोका ही दिया गया है. इस वर्ष तो केंद्र सरकार ने हद कर दी है. 

    किसानों द्वारा तेज धूप एवं गर्मी में मेहनत कर धान की रबी फसल का उत्पादन लिया था. किसानों को प्रति हेक्टर 60 से 70 क्विंटल फसल हुई है. ऐसे में सरकार द्वारा पहले तो केवल 16 क्विंटल धान खरेदी की घोषणा की बाद में अचानक 12 जून से धान खरेदी केंद बंद कर दिए गए हैं. 

    अब किसानों के समक्ष यह समस्या है कि वह अपना धान किसे बेचे, यदि व्यापारी को बेचते हैं तो उनकी लागत व मेहनत भी नहीं निकलती है.

    काम निकलने पर बदलते हैं रंग

    किसानो को प्रत्येक मुश्किलों का सामना कर अपना जीवनयापन संवारना पड़ता है. किसानो को जितनी तकलिफ का सामना आसमानी संकट से करना पडता है, उससे भी कही अधिक उसे सुलतानी मार झेलनी पडती है. 

    चुनाव के दौरान मतदान हासिल करने तक एवं सरकार बनाने तक किसान को अपना अन्नदाता एवं भगवान मानने का ढोंग रचाया जाता है, लेकिन जैसे ही सरकार बनती है तो गिलगिट की तरह रंग बदल कर जिनके वोटो पर सेवक बनते है, उनसे ही वह छल कपट एवं धोका कर पुंजीपती एवं उद्योगपतीयों की हाथों की कठपुथली बनकर उनकी इशारों पर नाचने का काम किया जाता है. 

    केंद्र सरकार की वादाखिलाफी से जनता में रौष

    भाजपा द्वारा चुनाव के पूर्व किसानों को तकलिफों से मुक्ति दिलाने एवं गरीबों को उनका अधिकार दिलाने का वादा किया था. साथ ही प्रत्येक बेरोजगार को नौकरी एवं रोजगार, किसानों का संपूर्ण कर्जा माफ, मुबलक सिचाई एवं 24 घंटे बिजली की व्यवस्था, फसल को उचित दाम, उचित शिक्षा एवं स्वास्थ सेवा देने की डींगें हाँकी गई थी. 

    लेकिन सरकार के कार्यकाल को 8 वर्ष पुर्ण होने के बावजूद किसान आज भी जिल्लत भरी जिंदगी जीते हुए नजर आता है. बेरोजगार नोकरी एवं रोजगार के लिए दर दर भटकते हुए नजर आता है. इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है.

    अन्याय का भुगतान अवश्य भुगतना पड़ेंगा: कलाम 

    पूर्व पं.स. सभापति कलाम शेख ने कहा कि, भारत कृषि प्रधान देश होकर यदि सरकार द्वारा किसानों के साथ इस तरह से अन्याय किया गया तो इसका भुगतान अवश्य भुगतना पड़ेंगा. जिस सरकार के कार्यकाल में अन्नदाता को अपनी मांगों के लिए सड़कों पर उतरना पड़ता हो तो उनका सामुहिक निषेध होना आवश्यक है.