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    भंडारा. भंडारा वन अधिकार के दावों को मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन संबंधित खेती के खसरा में फसलों को दर्ज नहीं किया गया था. नतीजतन, सहकारी समितियां, निजी और सरकारी बैंक फसल कर्ज प्रदान नहीं करते हैं और ऐसे किसानों को भारी वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ता रहा है.

    इसलिए वन भूमि पर खेती करने वाले किसानों को फसल कर्ज  देने की लगातार मांग की जा रही थी. इस संबंध में एक बयान उपजिलाधिकारी महेश पाटिल और तहसीलदार रवींद्र हिंगे को दिया गया. इस पर संज्ञान लेते हुए तहसीलदार हिंगे ने तालुका की सभी विभिन्न सहकारी समितियों को संबंधित किसानों को फसल कर्ज देने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. 

    कई लोग वन भूमि पर खेती करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं. चूंकि ये किसान वर्षों से वन भूमि पर खेती कर रहे हैं, इसलिए इन किसानों को वन अधिकार दिए गए हैं. हालांकि, भूमि अधिकार दर्ज नहीं होने से उन्हें सरकार द्वारा फसल कर्ज या हुए नुकसान की भरपाई नहीं की जाती है. आगामी खरीफ सीजन की पृष्ठभूमि में राज्य सरकार ने किसानों को फसली कर्ज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है ताकि मजदूरी, बीज और उर्वरक की आर्थिक कमी न हो. 

    सातबारा के नाम पर किसानों को विभिन्न कार्यरत सहकारी समितियों, निजी और सरकारी बैंकों से आसानी से फसल कर्ज दिया जाता है. हालांकि, वन पट्टे वाले किसानों को फसल कर्ज के लिए बैंकों से वापस लौटना पड़ता है. 

    उल्लेखनीय है कि धान समर्थन मूल्य केंद्र पर उनका अनाज भी नहीं खरीदा जाता है. इससे किसान प्रभावित होते रहे हैं. इसलिए लगातार मांग की जा रही थी कि वन पट्टाधारकों को फसल कर्ज, सरकारी धान केंद्रों पर खरीद और अन्य योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए. इस संबंध में भाजपा पदाधिकारियों की ओर से तहसीलदार व  उपजिलाधिकारी को निवेदन भी दिया.

    बयान को गंभीरता में लेते हुए और किसानों की कठिनाइयों को देखते हुए निर्देश दिया कि सभी विभिन्न सहकारी समितियों को वन मालिकों का पीक पेरा प्रमाणपत्र लेना चाहिए और उन्हें अधिकतम कर्ज प्रदान करना चाहिए. इस संबंध में पत्र परियोजना अधिकारी, आदिवासी विभाग, जिला सहकारी समितियों के जिला उप पंजीयक, जिला अग्रणी बैंक के प्रबंधक और उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी (रोगायो) को भेजे गए हैं.

     भंडारा तालुका में  भूमि के पट्टे सभी वन धारक किसानों को सरकारी समूह संख्या और वन अधिकार पंजीकरण के अनुसार आवंटित किए गए हैं. सातबारा रिकार्ड में  फसल दर्ज की गयी है यह किसान पिक-अप कर्ज के लिए पात्र हैं. हालांकि, कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते इस साल मौसमी फसल निरीक्षण में कोई फसल दर्ज नहीं की गई. इस मामले के संबंध में  तहसीलदार अरविंद हिंगे ने कहा कि संबंधित आवेदक को फसल कर्ज के लिए सहकारी समिति या बैंक में तलाठी द्वारा दिया गया पीक पेरा प्रमाणपत्र संलग्न कर आवेदन करना चाहिए.