- अध्ययन दौरे में सांगली पहुंचे भंडारा के किसानों से किया संवाद
भंडारा. विदर्भ में गोसीखुर्द परियोजना के कारण पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. अब विदर्भ के किसानों की जिम्मेदारी है कि वह इस पानी का उचित उपयोग करें और फसल पैटर्न में भी सुधार करें. पश्चिमी महाराष्ट्र में, उपसा सिंचाई योजना, जलापूर्ति योजना और चीनी कारखानों की जल योजना की वजह से खेती बहुत उन्नत हुई है। यह बात राज्य जलसंपदा व लाभक्षेत्र विकास मंत्री तथा सांगली जिले पालकमंत्री जयंत पाटिल ने कही. वे अध्ययन दौरे के तहत सांगली में पहुंचे भंडारा जिले के किसानों को संबोधित कर रहे थे. उन्होने किसानों से आह्वान किया कि वह अध्ययन करें एवं अपने क्षेत्र में परिवर्तन करने का प्रयास करें.
विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल के पानी वापर संस्थाओं के सक्षमीकरण के विशेष उपक्रम के तहत गोसीखुर्द राष्ट्रीय सिंचाई परियोजना के लाभ क्षेत्र में आ रहे किसानों को किसान समृद्धि अध्ययन यात्रा का आयोजन किया गया है. यह यात्रा इन दिनों सांगली में है. वहां के पालक मंत्री जयंत पाटिल ने किसानों से बातचीत की.
इस अवसर पर विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल कार्यकारी संचालक राजेंद्र मोहिते, गोसीखुर्द प्रकल्प मुख्य अभियंता आशिष देवगडे , अधीक्षक अभियंता जगत टाले, प्राध्यापक सुरेश महिंद, सांगली जलसंपदा विभाग कार्यकारी अभियंता ज्योती देवकर, कृषिरत्न पुरस्कार प्राप्त किसान संजीव माने उपस्थित थे.
जल प्रबंधन से खेती होगी फायदेमंद
जयंत पाटिल ने कहा कि इस बात का उदाहरण है कि पश्चिम महाराष्ट्र में गन्ने की खेती कितनी अच्छी तरह की जा सकती है. जिससे इस क्षेत्र के किसान आत्मनिर्भर हो गए हैं। मेहनत और कर्ज लेकर खेती के लिए पानी मुहैया कराया गया है. साथ ही, सरकार ने टेंभू, ताकारी, म्हैसाल जैसी उप सिंचाई योजनाओं को लागू करके अधिक कृषि को सिंचाई उपलब्ध करायी है.
आधुनिक तरीका अपनाएं
जयंत पाटिल ने आगे कहा कि पश्चिमी महाराष्ट्र में पानी की उपलब्धता के बावजूद इस क्षेत्र के किसानों ने हमेशा आधुनिक तरीके से खेती करना पसंद किया है. न्यूनतम पानी में अधिक से अधिक उत्पादन करने में वे हमेशा सबसे आगे रहे हैं. यांत्रिक खेती को प्राथमिकता देते हुए अच्छी गुणवत्ता वाली खेती की गई है.
सामुदायिक योजनाओं पर जोर
योजनाओं को केवल एक किसान के लिए बनाने की बजाए सामुदायिक सिंचाई योजनाओं को लागू करने को प्राथमिकता दी गई है. किसानों ने भी आपस में उचित संपर्क बनाए रखा. उचित रूप से संचालित सिंचाई योजनाओं ने योजनाओं की जलापूर्ति, रखरखाव और मरम्मत की लागत को कुशल और समय पर बनाए रखने में मदद की. इस वजह से आज यह सांगली जिले का इलाका जन्नत बन गया है. कृषि में प्रगति ने क्षेत्र के किसानों के जीवन स्तर को ऊंचा किया है.
अंगूर और अनार
सांगली जिले में गन्ने की खेती के साथ-साथ मेहनतकश किसानों ने अंगूर, अनार जैसे बाग लगाए हैं और अब आम भी बड़ी मात्रा में लिया जा रहा है. किसान भी कृषि में नए प्रयोग कर रहे हैं.
विदर्भ को करें समृद्ध
मंत्री पाटील ने कहा कि सरकार विदर्भ के विकास के लिए सतत सिंचाई पर जोर दे रही है. गोसीखुर्द परियोजना अंतर्गत आने वाले किसानों को इस अध्ययन दौरे से अनुभव और ज्ञान प्राप्त करना चाहिए और अपने क्षेत्र में इस पद्धति का प्रयोग करना चाहिए. पश्चिमी महाराष्ट्र की तरह विदर्भ को फलने-फूलने के लिए किसानों को इस दौरे से मिली जानकारी का इस्तेमाल करना चाहिए.