दुबारा बुआई के संकट से बच गए किसान,  आर्द्रा नक्षत्र में हुई अच्छी बारिश

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    भंडारा. पिछले वर्ष खरीफ सीजन में उत्पादन में गिरावट के बाद किसान इस वर्ष के खरीफ सीजन की ओर नए जोश के साथ आकर्षित हुआ था. पिछले 4-5 दिनों से हो रही बारिश के थमने से किसानों पर फिर से बुआई का संकट आने की स्थिति में आर्द्रा नक्षत्र की शुरुआत में पूरे जिले में भारी बारिश ने दस्तक दे दी है, जिससे किसानों की उम्मीद जगी है. फिलहाल किसानों पर दोबारा बुआई का संकट टल गया. इस बारिश से किसानों समेत आम लोगों को राहत मिल रही है. असिंचित किसानों की निगाहें आज भी आसमान पर टिकी हैं. 

    पिछले वर्ष हुआ था नुकसान

    पिछले वर्ष बाढ़ की स्थिति, कीटों के प्रकोप व बीमारी एवं वापसी की बारिश से किसानों को कृषि उपज का भारी नुकसान हुआ था. नतीजतन, उत्पादन तेजी से गिर गया. किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ. इस नुकसान की भरपाई के लिए किसानों का ध्यान खरीफ सीजन की ओर बड़ी उम्मीद के साथ लगा. रोहिणी नक्षत्र में हुई संतोषजनक बारिश के चलते किसानों ने मस्सगत का काम पूरा किया. मृग नक्षत्र की शुरुआत से ही बारिश ने दस्तक दे दी है. किसानों ने धान की बुआई भी शुरू कर दी है. जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा है ऐसे किसानों ने मृग नक्षत्र की शुरुआत में अन्य फसलों के साथ धान की बुआई की. 

    असिंचित किसानों ने देर से बुआई की. हालांकि, 4-5 दिनों से बारिश नहीं होने से असिंचित किसानों पर फिर से बुआई का संकट पैदा हो गया था. 23 जून की रात और दिन में गाज के साथ जिले में भारी बारिश हुई. इस बारिश से किसानों की उम्मीद जगी है. बारिश थमने से महंगे बीज खरीदकर फिर से बोने होंगे, इस चिंता में  किसान डूबे थे. लेकिन मूसलाधार बारिश ने किसानों को फिलहाल फिर से बुआई के संकट से बचा लिया है. ऐसा किसानों का कहना है. बारिश से किसानों के साथ ही नागरिकों को भी राहत मिली है. 

    नदी, तालाबों में पानी का भंडारण नहीं

    भंडारा जिले को तालाबों का जिला कहा जाता है. तालाब के माध्यम से बड़े पैमाने पर सिंचाई की सुविधा है. जिले में वैनगंगा, चुलबंद, सूर, बावनथडी जैसी कई छोटी बड़ी नदी परियोजनाएं हैं. लेकिन जिले में जल संग्रहण में कोई वृद्धि नहीं हुई है. जिले में अपर्याप्त वर्षा के कारण नदियां, नहरें, तालाब सूखे नजर आ रहे हैं. जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा है ऐसे किसानों ने रोपाई शुरू कर दी है. वहीं कुछ किसानों ने रोपाई के लिए अपनी जमीन तैयार कर ली है. तालाब व नदियों, नहरों में जल संग्रहण बढ़ाने के लिए भारी वर्षा की आवश्यकता होती है. फिलहाल संतोषजनक बारिश से किसानों को राहत मिली है.