फ्लैश मॉब ने जीता दिल; शास्त्री विद्यालय की संगीत शिक्षिका स्मिता गालफाड़े के अथक प्रयास

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    भंडारा. शहर का गांधी चौक. भीड़ भड़क्का और भागती जिंदगी. यहाँ से गुजरने वाला हर व्यक्ति व्यस्त दिखाई देता है. बारिश शुरू होते ही जल्दबाजी में बढ़ रहे कदम थम से जाते हैं सुन के – ‘ऐ वतन, ऐ वतन, जानेजां, जानेमन’. पलट के देखा तो गांधी चौक में पब्लिक लाइब्रेरी के सामने दिखे जलवा बिखेरते हुए विद्यार्थी. वो बुला रहे थे ‘आजा आजा नीले शामियाने के तले’. समझने में देर नहीं लगि की यह स्मिता मैडम का किया जाने वाला ‘फ्लैश मॉब’ है. स्वाधीनता के अमृत अवसर पर ऐसा नवाचार जो शायद ही भंडारा शहर ने कभी अनुभव किया हो.

    एक जैसे कपड़े परिधान किए इन छात्रों को राष्ट्रप्रेम से भरे गीतों पर फ्लैश मॉब करते देख किसी का भी तन थिरकने ना लगे तो वह देशप्रेमी कैसा. मन तो किया की ‘जय हो’ चिल्लाते हुए खुद भी शामिल हो जाएँ इस फ्लैश मॉब में. स्वाधीनता का अमृत महोत्सव जिले में अलग अलग उपक्रमों द्वारा उत्साह से मनाया जा रहा है.

    कहीं साइकिल रैली तो कहीं मोटरसाइकिल, कहीं रक्तदान तो कहीं अलग अलग मुकाबले. इन सब में भंडारा शहर में लाल बहादुर शास्त्री विद्यालय के छात्रों द्वारा किया जा रहा फ्लैश मॉब अपने आप में अनूठा उपक्रम है. शहर में रोज एक चौक में शाम के समय यह फ्लैश मॉब किया जा रहा है. इस कड़ी में आखरी फ्लैश मॉब आज शाम मनरो स्कूल के प्रांगण में होगा.

    कुछ ही मिनटों बाद फ्लैश मॉब खत्म और सभी अपने अपने रास्ते चल पड़ते है. मैं भी निकाल पड़ा. पीछे मूडके देखा तो चौक में खड़ी बापू की प्रतिमा आज मुसकुराते हुए दिखी. यकीनन सपनों का भारत दिख गया होगा आज उनके इस चौक में.

    क्या है फ्लैश मॉब 

    फ्लैश मॉब का मतलब लोगों के किसी समूह का अचानक पब्लिक प्लेस पर जमा होकर कोई अनोखा काम करने से है. यह शब्द पहली बार 2003 में प्रयोग किया गया. पहली बार इसे एक ब्लॉग पोस्ट में इस्तेमाल किया गया. आक्सफोर्ड डिक्शनरी में इसे 2004 में जगह मिली. अमरीका के ठीक दो महीने बाद इंडिया में पहली बार मुंबई में ही 4 अक्टूबर 2003 को फ्लैश मॉब देखने में आया. इसे 25 साल के रोहित टिक्कानी ने आयोजित किया था. भंडारा में किए जा रहे फ्लैश मॉब किसी सरकारी स्कूल द्वारा इतने बड़े पैमाने पर करने वाला देश का पहला उदाहरण है.

    स्मिता मैडम का सराहनीय कार्य 

    आज गांधी चौक में किया गया फ्लैश मॉब लोगों ने बहुत सराहा और इस नवाचार के पीछे काम करने वाली लाल बहादुर शास्त्री विद्यालय की राज्य आदर्श शिक्षिका पुरस्कृत स्मिता गालफाड़े के प्रयासों की सराहना भी की. उन्हें भंडारा जिलाधिकारी संदीप कदम का सम्पूर्ण सहयोग और मार्गदर्शन मिला. नवाचार के प्रयासों को समर्थन मिलना भी महत्वपूर्ण होता है. 15 अगस्त के दिन मोटरबाइक पर चिल्लाते हुए रेसिंग करने से तो लाख गुना बेहतर है युवाओं को ऐसे नवाचार का पाठ सिखाना जिससे की उनकी ऊर्जा का सही इस्तेमाल हो. यही तो होता है एक शिक्षक का कार्य.