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    भंडारा. पिछले कुछ वर्षो में मधुमेह के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. यह चौंकाने वाला नहीं रहा है. लेकिन बच्चों में मधुमेह के प्रमाण चिंताजनक रूप से बढ़ रहे है. ज्युबेमाईल डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है. वर्तमान में देश में 1 लाख बच्चों में टाइप 1 मधुमेह का निदान किया गया है.

    यह जानकारी बाल रोग विशेषज्ञों के संघ द्वारा 14 नवंबर यानी बाल दिवस के रूप में मनाई जाती है. इस दिन पूरी दुनिया में मधुमेह के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. मधुमेह को मध्यम वर्ग या वयस्क रोग माना जाता है. लेकिन यह बीमारी अब बच्चों में भी देखने को मिल रही है.

    मधुमेह वाले बच्चों में, बच्चों का शरीर इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है. इस वजह से उन्हें इस बीमारी के इलाज के लिए बाहर से इंसुलिन लेने की जरूरत होती है. ऐसे में बच्चों के ब्लड शुगर लेवल की नियमित जांच जरूरी है. हालांकि, यह उच्च कैलोरी सेवन, साधारण शर्करा, खराब आहार की आदते, बदलती जीवन शैली के कारण है.

    क्या होते हैं बच्चों में मधुमेह के लक्षण

    जब बच्‍चों में शुगर लेवल असामान्य रूप से बढ़ जाता है, तो उन्‍हें बहुत ज्यादा प्यास लगती है. वो पानी पीने के अलावा, जूस व ड्रिंक जैसी लिक्विड चीजों का भी ज्यादा सेवन करना चाहते हैं. डायबिटीज का ये सबसे सामान्य लक्षण है, जो बड़े लोगों में भी पाया जाता है.

    1. जब बच्चे की प्यास बढ़ेगी और वो ज्यादा लिक्विड लेगा तो जाहिर है, उसे बार-बार पेशाब जाना पड़ेगा. 
    2. बच्चे को अगर डायबिटीज की समस्या हो जाए, तो अक्सर उनकी भूख बढ़ जाती है, लेकिन वह कितना भी खा ले उसका वजन ज्यादा होने की बजाय कम होने लगता है. 
    3. डायबिटीज से पीड़ित बच्चे इन्सुलिन की कमी के कारण थके और दूसरे बच्चों की तुलना में सुस्त लगने लगते है. 
    4. शरीर के घाव जल्दी नहीं भरना भी एक लक्षण हो सकता है.

    इस बात का रखें खयाल

    अगर बच्चों में इन लक्षणों की शुरुआत में ही पहचान हो जाती है, तो वह बच्चा इस समस्या से जल्द मुक्त हो सकता है. डायबिटीज में खास देखभाल और परहेज की जरूरत होती है. एक बार पैरेंट्स उसकी बीमारी को पहचान लें, उसके बाद उनके बच्चे का इलाज संभव हो जाएगा.

    अभिभावकों की भूमिका अहम

    बच्चों के डायबिटीज से जंग में अभिभावकों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है. उन्हें बच्चों में स्वस्थ जीवनशैली विकसित करना चाहिए और पौष्टिक आहार को लेकर उनकी रुचि में इजाफे की कोशिश करना चाहिए. रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, शुगर, मिठाई, मैदे वाली सफेद रोटी, पेस्ट्री, सोडा और जंक फूड से बच्चों को दूर रखें.

    बच्चे को नियमित एक्सरसाइज की आदत डालें. उन्हें इन्डोर की बजाय आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित करें. डायबिटिक बच्चे की सेहत का निश्चित तौर पर पूरा खयाल रखें, लेकिन उसे भी वास्तविकता से अवगत कराएं. उसे यह बात समझाएं कि डायबिटीज पर नियंत्रण उसे जिंदगी और अधिक खुलकर जीने में मदद करेगा. बच्चे को घर में भी अलग व्यवहार न दें. उसे सामान्य जिंदगी जीने का हक है.