भंडारा. राज्य में मूंगफली के भाव में तेजी आने से खरीदारों को जेबों पर असर पड़ रहा है. पिछले एक वर्ष में मूंगफली के भाव में बड़ी तेजी आई है, न केवल मूंगफल्ली बल्कि सोयाबीन समेत अन्य तेलों में भी वृद्धि हुई थी. मराठवाडा, पश्चिम महाराष्ट्र तथा विदर्भ के कुछ जिलों में सब्जी बनाने के लिए मूंगफली को ही उपयोग में लाया जाता है.
तेल के दर में लगातार वृद्धि होती देखी जा रही है. राज्य में भूईमूंग, सोयाबीन, करडई, सूर्यफूल आदि फसलों के क्षेत्र में लगातार कमी आ रही है, इसका परिणाम तोल के भाव पर पड़ रहा है. मांग के अनुरूप मूंगफली न मिल पाने की वजह से तेल के भाव में तेजी देखी जा रही है.
उल्लेखनीय है कि जहां एक ओर भंडारा जिले में मूंगफली के उत्पादन क्षेत्र में कमी देखी जा रही है, वहीं दूसरी ओर जिले से भूईमूंग सूर्यफूल की फसल नहीं के बराबर रह गई है. दो दशक पहले जिले में भूईमूंग, सूर्यफूल, ज्वार की फसल बड़े पैमाने पर होती थी, लेकिन जब गोसेखुर्द परियोजना अस्तित्व में आई तब से जिले से भुईमूंग, सूर्यफूल, मूंगफली, जवस तथा ज्वार की फसल हद पार हो गई.
इस वजह से मराठवाडा, पश्चिम महाराष्ट्र से मूंगफल्ली समेत अन्य फसलों का आयात करना पड़ रहा है, इसी वजह से विदर्भ में मराठवाडा, पश्चिम महाराष्ट्र की तुलना में मूंगफली के भाव में ज्यादा तेजी है.