पशुखादय की कीमतों में भारी वृध्दि, सरकार की उदासीनता का शिकार हुआ दूध व्यवसाय

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    तुमसर. क्षेत्र के किसान खेती के साथ ही चंद रुपये कमाने के उद्देश्य से दूध का व्यवसाय करते हैं. ऐसे में दूध से अधिक जानवरो के चारे के दाम होने से उन्हें विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ता है. पशुखादय की कीमते भी काफी बढ़ने से किसानो के सामने अनेक सवाल खड़े होने लगे है एवं व्यवसाय करने अथवा नहीं करने के बारे में सोचने के लिए मजबूर हुए है. 

    सहकार कानून 1960 के नुसार  क्षेत्र में दूध संकलन का कार्य सहकारी संस्थाये करती है. जिसमे पशुपालको सक्रीय सहभाग होना अपेक्षित होता हैं. इसमे फेडरेशन द्वारा किसानों को पूरी तरह से सहयोग नहीं करने के कारण अनेको ने पशुपालन बंद कर दिया गया है. 

    गुणवत्ता के बावजूद नहीं मिलता दाम

    दूध की गुणवत्ता होने के बाद भी निजी दूध डेयरीयो द्वारा उचित मूल्य नहीं दिया जाता है. गौपालकों ने बताया की, जनप्रतिनिधियों द्वारा जानबूझकर पशुपालन व्यवसाय को खेती पुरक व्यवसाय बताकर उपेक्षित रखा गया है. इस व्यवसाय को आधुनिक तकनीक से दूर रखा गया है. 

    मंडराने लगे हैं संकट के बादल

    दूध व्यवसाय में हो रही अनियमितता के कारण गौपालन व्यवसाय की उन्नति अधर में लटकी हुई है. इस व्यवसाय के प्रति जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण परंपरागत चलने वाला पशुपालन व्यवसाय जिससे गौपालकों का विकास संभव था. उसपर संकट के बादल मंडराने लगे है.