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लाखांदूर (सं). इस वर्ष के खरीफ सीजन में तहसील में बाढ़ की स्थिति एवं तुड़तुड़ा कीट की बीमारी के साथ वापसी की बारिश ने धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया, लेकिन बीमा कंपनी नुकसान के मामले में मिड सीजन अडवरसिटी को लागू कर रही हैं और महज 25 प्रतिशत बीमा लाभ दे रही हैं. इससे प्रभावित किसानों में भारी निराशा है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्ष की खरीफ सीजन में भागड़ी, लाखांदूर एवं विरली बु. इन तीन मंडलों के तहत बाढ़ की स्थिति, तुड़तुड़ा एवं वापसी की बारिश के कारण लगभग 8 हजार 753 हेक्टेयर में फसल बर्बाद हो गई थी. इस नुकसान को ध्यान में रखते हुए सरकार ने क्षतिग्रस्त क्षेत्र का निरीक्षण किया एवं पंचनामा करके सरकार को 50 प्रतिशत से अधिक नुकसान की रिपोर्ट सौंपी, लेकिन मिड सीजन अडवरसिटी के नियमों के अनुसार प्रतिकूल मौसम की स्थिति में बीमा कंपनी किसानों के अपेक्षित उत्पादन में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी करेगी और 25 प्रतिशत तक का मुआवजा अग्रिम में दिया जाता है.

वापसी की बारिश से नुकसान

इस अनुसार इस वर्ष के खरीफ मौसम में तहसील के 26 हजार 265 किसानों ने लगभग 13 हजार 600 हेक्टेयर क्षेत्र के धान फसल के लिए फसल बीमा निकालने की जानकारी है. इस बीच, इस वर्ष के खरीफ में बाढ़ की स्थिति के कारण 8 हजार 753 हेक्टेयर क्षेत्र की फसल नुकसान हुआ और यह पता चला है कि वापसी की बारिश के कारण 42 किसानों ने धान की फसल खो दी.

आवश्यक कार्रवाई की मांग

इस संदर्भ में किसानों को नुकसान की दर पर 25 प्रतिशत बीमा लागू करने के कारण किसान भारी निराश हुए हैं. किसानों को उत्पादन क्षेत्र के प्रमाण में सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बीमा का लाभ दिया जाएगा, हालांकि बीमा कंपनी ने सरप्लस उत्पादन व अपेक्षित उत्पादन के नुकसान के 25 प्रतिशत की दर पर बीमा राशि का वितरण शुरू कर दिया है, जिससे किसानों में नाराजगी है.

तहसील के कई किसानों को प्रति हेक्टेयर 700 से 750 रुपए की निर्धारित बीमा राशि का एक तिहाई होने का आरोप लगाया जा रहा है, क्योंकि बीमा राशि उपलब्ध कराई जा रही है. इस मामले में सरकार ने शीघ्र ध्यान देकर  मिड सीजन अडवरसिटी के नाम पर बीमा कंपनी किसानों को हताश कर रही है, इसलिए आवश्यक उपाय एवं कार्रवाई करने की मांग कर रही हैं.