भंडारा. बिजली कर्मचारियों, इंजीनियरों, अधिकारी संयुक्त संघर्ष समिति और महाराष्ट्र राज्य विद्युत ठेका कामगार संगठन कृति समिति की ओर से विगत 2 महीने से चल रहा आंदोलन दो दिवसीय हड़ताल में बदल गया. बिजली कर्मचारियों पर रचनात्मक प्रभाव डालने वाली सभी 39 यूनियन हड़ताल में शामिल हुई है.
इस हड़ताल की वजह से महाराष्ट्र में बिजली उत्पादन बंद होने की स्थिति मंडरा सकती है. इस डर की वजह से ऊर्जा मंत्री राऊत ने सोमवार को सभी संगठनों के प्रमुख प्रतिनिधियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस बैठक कर चर्चा की एवं हड़ताल वापस लेने का अनुरोध किया. लेकिन संघ के प्रतिनिधियों को लिखित में समझौता करने की मांग की कि सरकार महावितरण का एकतरफा निजीकरण नहीं करेंगे, जल विद्युत संयंत्रों का निजीकरण नहीं करेंगे. भंडारा के स्थानीय आंदोलनकारियों ने बताया कि लिखित समझौता तक आंदोलन जारी रहेगा.
हड़ताली संगठनों के सूत्रों ने बताया कि जिन मांगों को लेकर हड़ताल की गयी. उसमें केंद्र सरकार को संशोधित विद्युत अधिनियम 2021 का विरोध करने, तीनों कंपनियों में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू करने, नया तबादला नीति को निश्चित करने, ठेका कामगारों को उम्र के 60 साल के लिए नौकरी की सुरक्षा दी जानी चाहिए. आदि मांगों को लेकर लिखित समझौते की मांग की गयी है.
जारी रहेगा आंदोलन
सूत्रों ने बताया कि हड़ताल संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा अधिकारिक समझौता होने तक शांतिपूर्ण व अनुशासित तरीके से हड़ताल जारी रखने की जानकारी दी गयी है.
इस अवसर पर हरीष डायरे, प्रशांत भोंगाडे, नंदकुमार भड, एम.जी. पेठे, एल.के. टिचकुले, हेमंत मोटघरे, विनोद लांजेवार, विजय सोनटक्के, हेमेंद्र गौर, हरीचंद केवट, विश्वनाथ दुबे, राज जांभुलकर, सुनीता कलंबे, स्वाती दमाहे, प्रिया तामगाडगे, शेंदरे, दिगांबर कटरे, श्याम वंजारी आदि उपस्थित थे.