केवल पेट्रोल डिझेल ही नहीं तो अन्य सामानों के दामो में भी हुई है भारी वृद्धि

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    • मंहगाई की मार ने लोगों की तोड़ी कमर 

    तुमसर. बीते 7 वर्षो में केवल पेट्रोल डिझेल ही नहीं तो अन्य सामानों के दाम भी आसमान को छूने लगे हैं. महंगाई की मार ने लोगों की कमर तोड़ दी है. पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने लोगों का तेल निकाला तो वहीं अब बढ़ रहे रोजमर्रा के सामान एवं सब्जियों के दाम ने भी खाने का स्वाद एवं बजट दोनों ही बिगाड़ दिए हैं. बढ़ती हुई महंगाई ने गरीब एवं मध्यम वर्गीय जनता को निढाल कर दिया है. 

    केवल 195 रु. में मिलने वाली सीमेंट की बोरी अब 410 रु. में मिलने लगी है, टी वी का रिचार्ज 110 से 450 रु., 350 का सिलेंडर 1000 रु. के पास पंहुचा, पहले मिट्टी का तेल 20 रु. प्रति लीटर मिलता था अब 60 रु. हो गया एवं वह लोगों के पँहुच से बाहर है. 

    पहले मोबाईल के इनकमिंग के लिए पैसे नहीं लगते थे अब 79 रु. का रिचार्ज करना पड़ता है. साथ ही एटीएम से पैसे निकालने कोई चार्ज नहीं भरना पड़ता था. अब 105 रु. भरने पड़ते हैं. पहले 50,000 रु. में मिलने वाली बाइक अब 90,000 रु. पर पँहुच चुकी है, 5 रु. की रेलवे प्लेट फार्म टिकट अब 50 रु. में मिलने लगी है. 

    पहले ड्रायविंग लायसेंस निकालने 250 रु. लगते थे अब 5,500 रु. अदा करने पड़ते हैं. प्रति एक लाख रु. का मेडिक्लेम बीमा निकालने के लिए 1049 रु. देने पड़ते थे. अब उसके लिए 4100 रु. देने पड़ते हैं.

    वैसे ही सब्जी मंडियों में सब्जियों के दाम भी आसमान छूने लगे हैं. यहां के सब्जी मंडी की बात करें तो सब्जियों के दाम दोगुने से भी ज्यादा बढ़ गए हैं.  सब्जी के दाम ने अब लोगों के खाने का स्वाद के साथ ही बजट को भी बिगाड़ दिया है. 

    क्षेत्र की गृहणियों का कहना है कि सब्जियों के दाम हर रोज बढ़ रहे हैं. एवं इसका सीधा नुकसान गरीब परिवारों को हो रहा है. वहीं सब्जी विक्रेता भी सब्जी के बढ़ रहे दामों को लेकर चिंतित हैं. क्योंकि उनकी सब्जी की बिक्री अब पहले के मुकाबले काफी कम हो गई है. 

    सब्जी विक्रेताओं की माने तो सब्जियों के दाम सब्जी की कम आवक एवं पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों के कारण बढ़ रही है. डीजल व पेट्रोल के लगातार बढ़ रहे दामों ने आम लोगों की आर्थिक व्यवस्था ध्वस्त कर दी है. 

    वर्तमान केंद्र सरकार के कार्यकाल में बेरोजगारो के साथ ही गरीबी रेखा अंतर्गत जीवनयापन करने वालो की संख्या में काफी वृद्धि हुई है. किसानों के फसल को उचित दाम नहीं मिल रहा है.

    अब क्षेत्र की जनता को अच्छे दिन आएंगे का सपना दिखाकर केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई भाजपा की कथनी-करनी में फर्क की बात महसूस करने लगी है.